संवाददाता, पटना
शिक्षा विभाग ने आरटीइ के तहत पंजीकृत निजी स्कूलों को 25 प्रतिशत आरक्षित सीटों पर अलाभकारी और कमजोर वर्ग के बच्चों का नामांकन लेने का निर्देश जारी किया है. लेकिन निजी स्कूलों को वर्ष 2013 से अनुदान नहीं मिला है. नियम के अनुसार शिक्षा विभाग की ओर से अलाभकारी व कमजोर वर्ग के बच्चों को नामांकन के बदले अनुदान देने का प्रावधान है. पूर्व में विभाग की ओर से प्रति बच्चा के हिसाब से 53 सौ से सात हजार तक रुपये सलाना अनुदान देने का प्रावधान था. अब इसे बढ़ाकर लगभग 11 हजार रुपये तक कर दिया गया है. बिहार पब्लिक स्कूल एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ डीके सिंह ने कहा कि सरकार की नीति ठीक नहीं है. इसको लेकर विभाग के अधिकारियों से मिलकर पत्र दिया गया, लेकिन अब तक इस स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि बिहार के अन्य जिलों में लगभग अनुदान की राशि मिल गयी है. पटना जिले में वर्ष 2013 से अनुदान नहीं मिला है. अनुदान के रूप में 15 से 20 लाख रुपया बकाया है. विभाग के निर्देश पर वर्तमान में सत्र कक्षा एक से आठ तक में 25 प्रतिशत सीटों पर अलाभकारी व कमजोर वर्ग के बच्चों का नामांकन लिया जा रहा है.बच्चों का सही आंकड़ा नहीं देते हैं निजी स्कूल : डीइओ
जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने कहा कि जिले के पंजीकृत 856 निजी स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक में अलाभकारी व कमजोर वर्ग के बच्चों का नामांकन के लिए निर्देश दिया गया है. इसके लिए निजी स्कूलों को लगभग 11 हजार रुपये प्रति बच्चे के हिसाब से सालाना से अनुदान दिया जायेगा. किसी भी स्कूल की अनुदान की राशि बकाया नहीं रहेगी. जब भी निजी स्कूलों से उनके यहां नामांकित अलाभकारी व कमजोर वर्ग के बच्चों का आंकड़ा मांगा गया, तो सही आंकड़े पेश नहीं किये गये हैं. नामांकित बच्चों का आधार कार्ड देना अनिवार्य है, जो नहीं दिया जाता है. जब तक आंकड़ा सही नहीं होगा, अनुदान कैसे दिया जा सकता है.अल्पसंख्यक स्कूलों में आरटीइ के तहत नहीं होता है एडमिशन
शहर के मिशनरी स्कूल अल्पसंख्यक विद्यालयों की श्रेणी में आते हैं. इन स्कूलों पर आरटीइ के तहत एडमिशन का नियम लागू नहीं होता है. जिन स्कूलों को अल्पसंख्यक स्कूल की मान्यता मिली हुई है वहां आरटीइ के तहत एडमिशन लेना अनिवार्य नहीं है. एक अल्पसंख्यक स्कूल प्रबंधक की ओर से बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार अल्पसंख्यक स्कूल में नामांकित बच्चे ही शिक्षा पाने के हकदार हैं. यहां आरटीइ कानून को लागू करना संविधान का उल्लंघन है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है