पटना एयरपोर्ट पर हादसों को चुनौती देता घास का मैदान, पक्षियों के विमान से टकराने की बनी रहती आशंका

पटना: केरल के एयरपोर्ट पर हुए विमान हादसे के बाद सभी एयरपोर्ट की तकनीकी खामियों पर विचार करना बेहद जरूरी हो चुका है. पटना एयरपोर्ट पर पक्षियों के कारण विमान लैंडिग के समय एक खतरा बना रहता है. यहां के रनवे पर इन दिनों पक्षियों का जमावड़ा बढ़ गया है. इसके कारण उन्हें भगाने के लिए इस्तेमाल होने वाले पटाखों का उपयोग भी बहुत बढ़ गया है. सामान्य दिनों में इसके लिए सुबह से लेकर रात तक 100 पटाखे फोड़ने से काम चल जाता है, लेकिन अब इनकी संख्या बढ़ कर 200 तक पहुंच जा रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | August 10, 2020 5:53 AM

पटना: केरल के एयरपोर्ट पर हुए विमान हादसे के बाद सभी एयरपोर्ट की तकनीकी खामियों पर विचार करना बेहद जरूरी हो चुका है. पटना एयरपोर्ट पर पक्षियों के कारण विमान लैंडिग के समय एक खतरा बना रहता है. यहां के रनवे पर इन दिनों पक्षियों का जमावड़ा बढ़ गया है. इसके कारण उन्हें भगाने के लिए इस्तेमाल होने वाले पटाखों का उपयोग भी बहुत बढ़ गया है. सामान्य दिनों में इसके लिए सुबह से लेकर रात तक 100 पटाखे फोड़ने से काम चल जाता है, लेकिन अब इनकी संख्या बढ़ कर 200 तक पहुंच जा रही है.

बड़ी संख्या में रनवे के समीप जुटते हैं पक्षी, विमानों से टकराने का रहता है अंदेशा

विशेषज्ञों की मानें, तो रनवे पर पक्षियों का जमावड़ा पटना एयरपोर्ट की एक पुरानी समस्या है, लेकिन मॉनसून आने के बाद यह बहुत बढ़ गयी है. इसकी एक बड़ी वजह रनवे के दोनो तरफ स्थित घास के मैदान हैं. बारिश के बाद जब धूप होती है, तो घास की जड़ में छिपे कीड़े अपना भोजन खोजने के लिए ऊपर निकलते हैं, जिन्हें खाने के लिए बड़ी संख्या में पक्षी रनवे के समीप जुटते हैं. इनके विमानों से टकराने का अंदेशा रहता है. लिहाजा हर समय रनवे के अलग-अलग हिस्सों में तैनात नौ कर्मी अपने क्षेत्र में चिड़ियों की गतिविधियों पर नजर रखते हैं और इनके जुटते ही पटाखे फोड़ कर इन्हें भगा देते हैं.

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मशीन से हो रही घास की कटाई

घास पर घूमते कीड़ों से चिड़ियों को आकर्षित होते देख एयरपोर्ट ऑथोरिटी रनवे के आसपास के घास की कटाई पर विशेष ध्यान दे रहा है. पहले यह मैनुअली होता था, लेकिन अब इसके लिए मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि घास को हमेशा उसके न्यूनतम ऊंचाई तक ही रखा जा सके.

चिड़िया भगाने के लिए इन उपकरणों का होता हैं इस्तेमाल

जोन गन: यह गैस से चलता है. इसमें एक मिनट, दो मिनट या अधिक अंतराल का एक टाइम सेट कर दिया जाता है जिसके पूरा होने के बाद यह हर बार जोर से विस्फोटक आवाज करता है. इसके कारण संबंधित क्षेत्र में चिड़ियों का जमावड़ा नहीं हो पाता है.

सिक्स शॉट लॉन्चर

यह पटाखे को छोड़ने वाली एक बंदूक होती है, जो उसे 30 मीटर की ऊंचाई तक छोड़ती है. वहां जा कर वह फूट कर तेज आवाज करता है, जिससे पक्षी भाग जाते हैं. एक बार में छह पटाखे को लोड कर इस्तेमाल करने की क्षमता होने के कारण इसे सिक्स शॉट लांचर कहते हैं.

लेजर गन

इससे हल्के आवाज के साथ एक खास तरह की रोशनी निकलती है, जो काफी दूर तक जाने और चिड़ियों को भगाने में सक्षम होती है. रात के समय रनवे से चिड़ियों को भगाने में इसकी खास भूमिका होती है.

विंगर वेयर

यह एक हूटरनुमा उपकरण होता है, जिसे पेट्रोलिंग जिप्सी पर इंस्टॉल किया जाता है. बेहद तेज आवाज के कारण इससे लैस वाहन के नजदीक आते ही चिड़िया भाग जाती है.

Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya

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