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पटना की प्रमुख सड़कों से गायब हुई हरियाली, पानी के अभाव में दम तोड़ रहे सड़क किनारे लगे पेड़ पौधे

इन दिनों चिलचिलाती गर्मी से केवल इंसान या जीव-जंतु ही परेशान नहीं हैं, बल्कि पेड़-पौधे भी हैं, जिनकी जड़ों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है. पौधे पानी की अभाव में दम तोड़ रहे हैं. ऐसे में पटना शहर में हरे-भरे पौधों और पेड़ों की संख्या घट रही है. इनकी लगातार घटती संख्या से पर्यावरण को भी बढ़ावा नहीं मिल पा रहा है. हैरत की बात तो यह है कि पेड़ों के सूखने पर पटना वन प्रमंडल विभाग की ओर से कोई भी पहल नहीं की जा रही है.

हिमांशु देव@पटना

भीषण गर्मी से धरती जल रही है. कई दिनों से जिले का तापमान 44-45 डिग्री से भी ज्यादा रह रहा है. इसका असर आम आदमी से लेकर शहर के पेड़-पौधों पर भी पड़ रहा है. नियमित पानी के अभाव में सड़कों के किनारे खड़े हरे भरे पेड़ और सड़क व फ्लाइओवर के बीच में लगाये गये पौधे सूख रहे हैं. जिसके चलते शहर की हरियाली गायब होती जा रही है.

जबकि, हर साल पटना वन प्रमंडल, मनरेगा व अन्य विभागों की ओर से लाखों पेड़-पौधे लगाये जाते हैं. बता दें कि साल 2022-23 में मनरेगा की ओर से पटना जिले में 6.18 लाख पौधरोपण का लक्ष्य था. इसमें से मात्र 3.77 लाख ही पौधे लगाये जा सके हैं. उसमें भी 72.75 फीसदी पौधे देखरेख और पानी के अभाव में दम तोड़ चुके हैं.


तीन साल में लगे लाखों पौधे, पर बचे बहुत कम


शहर में पार्क प्रमंडल और वन प्रमंडल की ओर से लगातार पौधारोपण का कार्य किया जाता है. पिछले तीन साल में पटना वन प्रमंडल की ओर से 1.51 लाख पौधों को लगाया गया है. इसके अलावा जीविका, एनजीओ पीएसयू और अन्य योजनाओं के तहत तीन साल में 6.92 लाख पौधे लगाये गये हैं. शहर में पौधों को मनरेगा की ओर से लगाया जाता है, जिसकी संख्या पांच लाख से ज्यादा है. जबकि वन प्रमंडल के तहत कई ऑर्नामेंटल पौधे लगाये तो जाते हैं, पर उनकी नियमित देखभाल नहीं की जाती.

पेड़ पौधे भी लापरवाही की चढ़ रहे हैं भेंट

शहर की हरियाली भी लापरवाही की भेंट चढ़ रही हैं. कुछ साल पहले शहर को सुंदर और स्मार्ट बनाने के लिए स्वच्छता अभियान चलाया गया था. इसके बाद सड़कों के किनारे, डिवाइडरों और शहर में बने फ्लाइओवरों के बीच में छोटे-छोटे पॉट लगाकर उसमें पौधा रोपण कर दिया गया, ताकि सड़क और शहर की सुंदरता में चार चांद लगे.

कुछ समय तो इन हरियाली पर ध्यान दिया गया. इसकी हरियाली बरकरार रहे इसके लिए समय-समय पर पानी भी दिया गया. लेकिन जिस तरह से हमेशा होता आ रहा है कि विकास करने के लिए विभाग लाखों, करोड़ों रुपए खर्च कर देती है और अपनी खुद की तारीफें बटोरती हैं. इसके बाद धीरे-धीरे अधिकारियों का ध्यान इन कार्यों से हटने लगता है. सभी विकास कार्य ठप हो जाते हैं. ठीक उसी तरह यह भी देखने में आ रहा है कि गमले से अब छोटे-छोटे पौधे सूखने लगे हैं.

प्रभात खबर पड़ताल : ये है हकीकत, पानी के अभाव में दम तोड़ रहे पौधे

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    • शहर के प्रमुख फ्लाइओवर की सुंदरता पर चार चांद लगाने के लिए गमले में सैकड़ों पौधे लगाये गये थे. पर इन पौधों की वर्तमान में क्या स्थिति है, इसका हिसाब रखने वाला कोई नहीं है. जिसके कारण कहीं पौधे सूख रहे हैं, तो कहीं गमले गायब हो रहे हैं. यह नजारा है बेली रोड फ्लाइओवर, आर-ब्लॉक फ्लाइओवर और विधानसभा फ्लाइओवर का.
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    • बोरिंग रोड पानी टंकी के पास कई वर्षों से लहलहा रहे पीपल व बरगद के पेड़ लोगों को अपनी छांव बांट रहे थे. लेकिन, वर्तमान में पीपल का पेड़ लगभग सूख गया है. उसकी टहनी टूट कर कभी भी गिर सकती है. जबकि, बरगद का पेड़ भी आधा सूख चुका है. यदि इसे संरक्षित नहीं किया गया, तो हम इसे भी खो देंगे. महिलाएं वट सावित्री के दिन इसमें धागा भी बांधती हैं. हड़ताली मोड़ के पास भी बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई हुई तो कई विशाल पेड़ सूखने के कगार पर हैं.
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    • पटना स्मार्ट सिटी मिशन की तरफ से वीरचंद पटेल पथ को मॉडल रोड बनाया गया है. करोड़ों की लागत से ड्रेनेज, पाथवे, स्ट्रीट लाइट लगाने के साथ ही डिवाइडर के बीच मिट्टी भराई कर उसमें पौधे लगाये गये थे. ताकि, यह पथ हरा-भरा हो सके. लेकिन, रखरखाव के अभाव में लगभग पेड़-पौधे अपने स्थान से गायब हैं. कई पौधे सूख गये हैं.अगर यही स्थिति रही, तो यह पर्यावरण के लिए खतरा हो सकता है.

पौधे लगाने के साथ ही उसकी देखभाल भी प्रॉपर तरीके से की जाती है. समय-समय पर पौधों को पानी भी दिया जाता है. सड़क किनारे और फ्लाइओवरों पर लगे पौधे यदि सूख रहे हैं, तो इसकी निगरानी की जायेगी. जिले में साल 2024-25 के लिए बरसात में वन प्रमंडल की ओर से 3.50 लाख पौधे लगाए जाने का लक्ष्य है. जबकि, मनरेगा की ओर से 7.75 लाख पौधरोपण किया जायेगा. इसमें 2.75 लाख पौधा वन विभाग देगा. मनरेगा को 30 रुपये प्रति पौधे बेचा जाना है. दोनों को मिलाकर पटना में कुल 11.25 लाख पौधे इस मानसून में लगाने का लक्ष्य है. 

गौरव झा, पटना वन प्रमंडल पदाधिकारी
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