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बिहार में नहीं होगी बिजली की किल्लत, 7500 MW से अधिक की मांग को पूरा कर सकेंगे विभिन्न जिलों के ग्रिड

पटना में मीठापुर स्थित कृषि अनुसंधान संस्थान परिसर में 170.94 करोड़ की लागत से नये 132 केवी जीआइएस ग्रिड का निर्माण चल रहा है. इस ग्रिड उपकेंद्र से करबिगहिया ग्रिड उपकेंद्र तक 132 केवी ट्रांसमिशन लाइन का भी निर्माण होगा, जो भूमिगत होगा.

बिहार में बिजली की बढ़ती मांग को देखते हुए पटना सहित सूबे के तमाम जिलों में निर्बाध व गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने को बिजली ट्रांसमिशन व्यवस्था मजबूत की जा रही है. योजना के मुताबिक अगले वित्तीय वर्ष 2023-24 में सूबे की पीक डिमांड 7521 मेगावाट तक होने की संभावना है. इसको देखते हुए होल्डिंग कंपनी उसकी पूर्ति के लिए जरूरी 13540 मेगावाट क्षमता से अधिक का ट्रांसमिशन नेटवर्क तैयार कर रही है.

1691 करोड़ की ट्रांसमिशन योजनाओं पर बढ़ेगा काम

होल्डिंग कंपनी ने करीब 1691 करोड़ की लागत से पश्चिम चंपारण, भागलपुर, गया, औरंगाबाद, बक्सर व पटना में ट्रांसमिशन नेटवर्क का काम शुरू किया है. इनमें बगहा (पश्चिम चंपारण), बरारी (भागलपुर), भोरे (गया), बाराचट्टी (गया) और दाऊदनगर (औरंगाबाद) में 132 केवी क्षमता के पांच ग्रिड उपकेंद्रों का निर्माण किया जाना है. इनमें 50 एमवीए क्षमता के दो-दो ट्रांसफॉर्मर लगेंगे. इसकी कुल लागत 703.16 करोड़ रुपये रखी गयी है. इसके साथ ही निर्माणाधीन बक्सर थर्मल पावर प्लांट (660 गुणा 2) से बिजली निकासी के लिए 817 करोड़ की लागत से 400 केवी एवं 220 केवी के ट्रांसमिशन लाइन और उससे संबद्ध लाइन बे का निर्माण होना है.

मीठापुर में जीआइएस ग्रिड उपकेंद्र का चल रहा निर्माण

राजधानी पटना में भी मीठापुर स्थित कृषि अनुसंधान संस्थान परिसर में 170.94 करोड़ की लागत से नये 132 केवी जीआइएस ग्रिड का निर्माण चल रहा है. इस ग्रिड उपकेंद्र से करबिगहिया ग्रिड उपकेंद्र तक 132 केवी ट्रांसमिशन लाइन का भी निर्माण होगा, जो भूमिगत होगा. भविष्य में इस क्षेत्र के होने वाले विकास को देखते हुए यह प्रोजेक्ट काफी अहम है. इसके साथ ही कंपनी कई पुराने ट्रांसमिशन लाइनों का जीर्णोद्धार भी कर रही है.

ट्रांसमिशन लाइन की खासियत

  • बड़ी आबादी को रोटेशन पर बिजली की सुविधा, लो वोल्टेज से राहत, फॉल्ट की परेशानी दूर करना

  • पुराने उपकेंद्रों व लाइन पर से बोझ घटाना

  • बिजली की बढ़ रही डिमांड को पूरा करने के लिए वैकल्पिक सुविधा उपलब्ध कराना

वर्ष पीक डिमांड पीक डिमांड पूरी करने के लिए जरूरी क्षमता

  • वर्ष 2021-22 6576 मेगावाट 11840 मेगावाट

  • वर्ष 2022-23 7054 मेगावाट 12700 मेगावाट

  • वर्ष 2023-24 7521 मेगावाट 13540 मेगावाट

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इस तरह हर साल बढ़ रहा पीक लोड

  • वर्ष 2019 में 5891 मेगावाट

  • वर्ष 2020 में 5932 मेगावाट

  • वर्ष 2021 में 6627 मेगावाट

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