जयद योग में गुप्त नवरात्र 30 से
माघ शुक्ल प्रतिपदा में 30 जनवरी को श्रवण नक्षत्र व जयद योग के सुयोग में गुप्त नवरात्र शुरू हो रहा है.
संवाददाता, पटना
माघ शुक्ल प्रतिपदा में 30 जनवरी को श्रवण नक्षत्र व जयद योग के सुयोग में गुप्त नवरात्र शुरू हो रहा है. 30 जनवरी को कलश स्थापना से नवरात्र शुरू होकर सात फरवरी को विजयादशमी से साथ संपन्न होगा. इस दौरान श्रद्धालु निराहार या फलाहार रह कर माता की आराधना करेंगे. घरों एवं मंदिरों में कलश की स्थापना के साथ शक्ति की उपासना होगी. इस नवरात्र में श्रद्धालु अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्तियों में वृद्धि करने के लिए उपवास, संयम, नियम, भजन, पूजन योग साधना आदि करते हैं. तंत्र और शाक्त मतावलंबी साधना की दृष्टि से गुप्त नवरात्रों के कालखंड को बहुत सिद्धिदायी मानते हैं. यह मां वैष्णो देवी, पराम्बा देवी और कामाख्या देवी का अहम पर्व माना जाता है. हिंगलाज देवी की सिद्धि के लिए भी इस समय को महत्वपूर्ण माना जाता है. ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि माघ मास में सर्दी व शीतलहर की प्रधानता रहती है. ऋतु संधि में अनेक प्रकार की बीमारियों का प्रकोप बढ़ने के कारण इनसे बचाव के लिए माघ मास में शक्ति पूजन की प्राचीन परंपरा है. नवरात्र के विशेष काल में देवी उपासना के माध्यम से खान-पान, रहन-सहन और देव स्मरण में अपनाने गये संयम और अनुशासन तन व मन को शक्ति और ऊर्जा देते हैं, जिससे इंसान निरोगी होकर लंबी आयु और सुख प्राप्त करता है. देवी की 16 शक्तियों की प्राप्ति के लिए पूजन
माघ मास के इस गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की साधना की जाती है. विशेष तौर पर तंत्रोक्त क्रियाओं, शक्ति साधनाओं और महाकाल से जुड़े साधकों के लिए यह नवरात्र विशेष महत्व रखता है. देवी के सोलह शक्तियों की प्राप्ति के लिए पूजन होता है.
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