हरिहरनाथ मंदिर: देश का एकमात्र शिव मंदिर, जिसका मुख्य दरवाजा पश्चिम मुखी, जानें क्या है रहस्य
हरिहरनाथ मंदिर में शिवलिंग की स्थापना ब्रह्मा जी ने की थी. इस मंदिर का उल्लेख कई पुराणों में भी मिलता है. शिव महापुराण की रुद्र संहिता में इस शिवलिंग को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाला बताया गया है.
अभय कुमार सिंह
हरिहरनाथ मंदिर की प्रसिद्धि देश के कोने-कोने में है. सारण जिले के सोनपुर में स्थित इस मंदिर में हर साल सावन महीने में पूजा-अर्चना के लिए लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं. माना जाता है कि यह दुनिया का इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां ब्रह्मा जी ने हरि और हर यानी शिव एवं विष्णु की एकीकृत मूर्ति को स्थापित किया था. गंगा-गंडक के संगम किनारे स्थित इस मंदिर में शुंगकालीन स्तंभ पाया गया है. वहीं, पाल एवं गुप्त काल की भी कुछ मूर्तियां मौजूद हैं.
पौराणिक कथाओं में वर्णित गज-ग्राह की लड़ाई यहीं पर हुई थी. सावन में सोमवारी के दिन बाबा का विशेष शृंगार व आरती होती है. पहलेजा घाट से गंगाजल लेकर बाबा गरीबनाथ के दरबार में जाने वाले श्रद्धालु भी पहले बाबा हरिहरनाथ का दर्शन कर जलाभिषेक करते हैं.
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हरिहर नाथ मंदिर न्यास समिति के सचिव विजय कुमार सिंह लल्ला ने बताया कि सावन में मंदिर के बाहरी परिसर से लेकर गर्भगृह तक को सजाया गया है. श्रद्धालुओं को गंगा घाट से लेकर मंदिर परिसर तक आने में कोई परेशानी न हो इसका इंतजाम स्थानीय प्रशासन और मंदिर न्यास समिति की ओर से किया गया है.
स्वयंभू और मनोकामना महादेव हैं बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ
बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ मंदिर का परिसरसंतोष कुमार, ब्रह्मपुर (बक्सर). बक्सर जिले के ब्रह्मपुर में स्थित बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग को स्वयंभू माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने यहां पर तपस्या की थी और उनकी शक्ति से यह मंदिर बना था.
इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना ब्रह्मा जी ने की थी. इस मंदिर का उल्लेख कई पुराणों में भी मिलता है. शिव महापुराण की रुद्र संहिता में इस शिवलिंग को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाला बताया गया है. इसके चलते बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ को मनोकामना महादेव भी कहा जाता है. बिहार के अलावे यूपी के भी कई जिले के श्रद्धालु यहां दर्शन-पूजन के लिए आते हैं. सभी शिवरात्रि पर यहां लाखों श्रद्धालु जलाभिषेक करते हैं. वहीं, फाल्गुन शिवरात्रि पर 15 दिनों का अंतरराज्यीय मवेशी मेला लगता है. सावन माह में कांवरिया बक्सर से गंगाजल भर कर बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ का जलाभिषेक करते हैं.
एकमात्र मंदिर, जिसका मुख्य दरवाजा पश्चिम मुखी
ब्रह्मेश्वरनाथ मंदिर का मुख्य दरवाजा पश्चिम मुखी है, जबकि शिव मंदिरों का मुख्य दरवाजा पूर्व दिशा की ओर होता है. बताया जाता है कि मुस्लिम शासक मोहम्मद गजनी बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ की प्रसिद्धि जान कर इस मंदिर तोड़ने के लिए ब्रह्मपुर पहुंच गया.
स्थानीय लोगों ने उससे मंदिर नहीं तोड़ने की गुजारिश की और कहा कि ऐसा करोगे तो बाबा तुम्हारा विनाश कर देंगे. इस पर गजनी ने चैलेंज किया कि वह बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ की शक्ति देखना चाहता है. कहा कि अगर रात भर मंदिर का प्रवेश द्वार पूर्व से पश्चिम की ओर हो जायेगा तो वह मंदिर को छोड़ देगा. अगले दिन सुबह जब वह मंदिर तोड़ने के लिए आया तो यह देखकर दंग रह गया कि मंदिर का प्रवेश द्वार पश्चिम की तरफ हो गया है. इसके बाद वह वहां से वापस चला गया.