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औषधि के रूप में तैयार होगा हर्रे-बहेड़ा, मलबरी सिल्क की लौटेगी रौनक

सहकारिता मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने पटना स्थित कार्यालय कक्ष में छत्तीसगढ़ के भ्रमण अनुभव अधिकारियों के साथ साझा किये.

– सहकारिता मंत्री ने इन क्षेत्रों में संभावनाएं तलाशने का अधिकारियों को दिया निर्देश संवाददाता, पटना सहकारिता मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने पटना स्थित कार्यालय कक्ष में छत्तीसगढ़ के भ्रमण अनुभव अधिकारियों के साथ साझा किये. उन्होंने बताया कि बिहार में लगभग 11 वन क्षेत्र चिह्नित हैं. इन वनाें में हर्रे, बहेड़ा, औषधीय गुणों के बीज, फल तथा विभिन्न प्रकार के पौधों आदि का संग्रहण कर उनका प्रसंस्करण किया जा सकता है. इन कार्यों के लिए सहकारी समितियों के गठन को प्रोत्साहन दिया जा सकता है. इन समितियों के गठन से वनक्षेत्र के निवासियों को संगठित व्यवसाय करने का अवसर मिलेगा. बिहार में मलबरी उत्पादक समितियों के गठन की संभावना का अध्ययन करने का निर्देश दिया. राज्य के कई जिलों सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया, अररिया में इसकी खेती होती है, जबकि रेशमी वस्त्रों के उत्पादन के लिए धागे की आपूर्ति अन्य राज्यों से की जाती है. मलबरी प्रोड्यूसर्स सहकारी समिति होगी गठित सहकारिता विभाग के सचिव धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि यदि राज्य में मलबरी प्रोड्यूसर्स सहकारी समिति का गठन किया जाय तो सिल्क के धागों के उत्पादन में राज्य आत्मनिर्भर बन सकेगा. उन्होंने शीघ्र ही इस संबंध में प्रतिवेदन प्राप्त करने की बात कही. मंत्री ने समितियों को एक-दूसरे के करीब लाने के लिए राज्य और नेशनल स्तरीय स्पोर्ट्स मीट आरंभ करने का भी प्रस्ताव रखा. उन्होंने गोदामों के मॉडल में आंशिक संशोधन कर वन स्टॉप सेंटर के रूप में तैयार करने की बात कही. मौके पर इनायत खान, निबंधक, सहयोग समितियां, प्रभात कुमार, अपर निबंधक, सहयोग समितियां, ललन शर्मा, संयुक्त निबंधक, सहयोग समितियां मौजूद थे.

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