Health News: बिना फोन बजे सुनाई दे रही रिंग, युवाओं में बढ़ रही दिमाग की ये खतरनाक बीमारी

Health News: बिना फोन बजे सुनाई दे रही रिंग, युवाओं में बढ़ रही दिमाग की ये खतरनाक बीमारीहम सब आजकल फोन की गिरफ्त में हैं. इमेल-मैसेज चेक करना हो या फिर राशन की दुकान पर पेमेंट करना हो, हर जगह मोबाइल पर हमारी निर्भरता बढ़ती जा रही है.

By Anshuman Parashar | July 19, 2024 6:30 AM

Health News: बिना फोन बजे सुनाई दे रही रिंग, युवाओं में बढ़ रही दिमाग की ये खतरनाक बीमारी हम सब आजकल फोन की गिरफ्त में हैं. इमेलमैसेज चेक करना हो या फिर राशन की दुकान पर पेमेंट करना हो, हर जगह मोबाइल पर हमारी निर्भरता बढ़ती जा रही है. जो कहीं न कहीं सभी के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्या का कारण भी बन रहा है. बारबार फोन चेक करते रहने की हमारी आदत भी इसी में से एक है.

आजकल लोग मोबाइल फोन को लेकर अजीब भ्रम के शिकार होने लगे हैं. उन्हें लगता है कि अक्सर उनका फोन बज रहा है या वाइब्रेट कर रहा है, हालां कि जब वह फोन देखते हैं, तो पता चलता है कि असल में न तो कोई नोटिफिकेशन है और नही कोई कॉल. बिना फोन बजे भी कानों में रिंगटोन सुनाई देते रहने की ये समस्या एंग्जाइटी और तनाव जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का भी कारण बन रही है .

‘फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम’ की बढ़ रही समस्या

हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि अचानक लगे कि पॉकेट में रखा आपका फोन वाइब्रेट कर रहा है और जब फोन निकालकर देखा, तो न कोई मैसेज और न ही कोई कॉल. बैठे-बिठाए अचानक ऐसा महसूस होना ‘फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम’ हो सकता है. ये परेशानी लगातार बढ़ रही है, क्योंकि मोबाइल के इस्तेमाल का ग्राफ हर दिन ऊपर जा रहा है.  

मोबाइल से बढ़ रहा एंग्जाइटी डिस ऑर्डर

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की 2024 की रिपोर्ट्स के अनुसार फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम के कारण लोगों में एंग्जायटी डिसऑर्डर की समस्या तेजी से बढ़ रही है. इस अवस्था को टैक्टाइल हैलुसिनेशन कहते हैं, यानी ऐसी चीज को महसूस करना, जो असल में होता ही नहीं है. फोन का अधिक इस्तेमाल और इस पर बढ़ रही निर्भरता के कारण इस सिंड्रोम के शिकार हो रहे हैं. यह संख्या लगातार बढ़ रही है. ऐसी समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें. यह समस्या पहले भी थी लेकिन स्मार्टफोन के बढ़ते इस्तेमाल से अब इससे जुड़े मामले ज्यादा आने लगे हैं. 

फोन पर बहुत ज्यादा डिपेंडेंसी बनी वजह

मनोवैज्ञानिक डॉ समीधा पांडे कहती हैं, इस तरह के मामले युवाओं में ज्यादा देखने को मिल रहे हैं. वह हर वक्त फोन अपने पास रखते हैं खाना खाने से लेकर बाथरूम तक में वे इसका इस्तेमाल करते हैं. जिसे हम फियर ऑफ मिसिंग आउट भी कहते हैं. वहीं कुछ मामलों में तो उन्हें फोन की रिंगटोन, मैसेज की बीप, वाइब्रेशन भी सुनाई देती है जो असल में होती नहीं है. व्यक्ति अगर बार-बार अपना फोन इस्तेमाल करता है और लगातार मोबाइल वाइब्रेशन मोड में रखता है, तब भी उसे ऐसी परेशानी हो सकती है. फोन पर बहुत ज्यादा डिपेंडेंसी होने की वजह से ऐसा होता है. 

परिवार संग बिताएं क्वालिटी टाइम, फोन को रखें दूर

पीएमसीएच के मनोचिकित्सक डॉ सच्चिदानंद सिंह ने बताया कि फोन एडिक्शन के मामले बच्चों और बड़ों में अधिकतर मिलते हैं. महीने में तीन-चार मामले फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम से जुडे़ हमारे पास भी आते हैं. इसका मुख्य कारण इंटरनेट एडिक्शन और फोन का लगातार इस्तेमाल होना है. अगर हमें कुछ चीजें अच्छी लगती है तो हमारा ब्रेन डोपामाइन केमिकल को रिलीज करता है. जैसे ही आप एडिक्शन के शिकार होते हैं, तो आपका ब्रेन आपको चीजें देखने के लिए डिमांड करता है. ऐसी परिस्थिति में अपने डॉक्टर से मिलें. मोबाइल से कुछ घंटों का ब्रेक लें. परिवार से घुले-मिले. अलग-अलग टॉपिक पर डिस्कशन करें.

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समस्या बढ़े, तो यह करें उपाय

– अपने फोन से ब्रेक लें

– मेडिटेशन के साथ कुछ वक्त खुद के लिए निकालें जिसमें फोन ना हो

– फोन के इस्तेमाल को लेकर समय निर्धारण करें

– डिजिटल डिटॉक्स यानी कि अस्थायी रूप से डिवाइस से डिस्कनेक्ट करना

– खुद को क्रिएटिविटी से जोड़े, अपने हॉबी पर ध्यान दे, लोगों से मिलें

– टाइम मैनेजमेंट करें- जैसे फोन, फैमिली, दोस्त आदि के लिए समय निर्धारण

मनोचिकित्सक के पास ऐसे आ रहे केस

केस– 1

19 वर्षीय छात्रा ने बताया कि कोरोना के समय में ऑनलाइन क्लासेज ली थी. इसके अलावा मोबाइल पर वेब सीरीज देखना लगातार दोस्तों से वीडियो कॉल्स पर बातचीत करना, रील्स बनाना इन सब के कारण फोन की काफी आदत हो गयी.फोन नहीं आने पर बार-बार यह फोन चेक करती थी. हर वक्त सोशल मीडिया मैसेज आया की नहीं चेक करती थी. परेशानी बढ़ने पर थेरेपी ले रही हूं .

केस– 2

25 वर्षीय युवक का कहना है कि ऑफिस आवर्स में काम करते वक्त उन्हें फोन देखना पसंद है. घर जाने के बाद भी फोन पर वीडियो, रील्स और सोशल मीडिया का लंबे समय तक इस्तेमाल करते हैं. पिछले कुछ दिनों से उन्हें कई बार लगा कि उनका फोन वाइब्रेट कर रहा है. यहां तक कि रास्ते में भी वह गाड़ी रोक कर फोन चेक करते थे. जब इसकी समस्या ज्यादा होने लगी तो मेरे दोस्त के कहने पर मनोचिकित्सक से मिला. 

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