बिहार में ट्रक चोरी मामले में पीड़ित को मिले 21.98 लाख रुपये, कंज्यूमर कमीशन ने पहली बार की ऑनलाइन सुनवाई

पटना: इंश्योरेंस कंपनी के दांव पेच में उलझे एक मामले में बिहार स्टेट कंज्यूमर डिस्प्यूट रेड्रेसल कमीशन ने पहली बार ऑनलाइन वर्चुअल सुनवाई की. वर्चुअल सुनवाई में वादी और प्रतिवादी के बीच समझौता हुआ, जिसके तहत रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने 21,98,500 रुपये का भुगतान मामले के वादी बिमल कुमार सिंह को किया. मामले के वादी सहरसा जिला स्थित गंगजाला के हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | September 4, 2020 10:03 AM

पटना: इंश्योरेंस कंपनी के दांव पेच में उलझे एक मामले में बिहार स्टेट कंज्यूमर डिस्प्यूट रेड्रेसल कमीशन ने पहली बार ऑनलाइन वर्चुअल सुनवाई की. वर्चुअल सुनवाई में वादी और प्रतिवादी के बीच समझौता हुआ, जिसके तहत रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने 21,98,500 रुपये का भुगतान मामले के वादी बिमल कुमार सिंह को किया. मामले के वादी सहरसा जिला स्थित गंगजाला के हैं.

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई सुनवाई

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई इस सुनवाई में फैसला स्टेट कंज्यूमर डिस्प्यूट रेड्रेसल कमीशन के अध्यक्ष एसपी सिंह ने दिया. फैसला 24 अगस्त को आया है. विशेषज्ञों के मुताबिक इस फैसले की अहमियत दो बातों से बतायी जा रही है. अव्वल तो कोविड के दौर में तमाम चुनौतियों के बीच कमीशन अध्यक्ष सिंह ने वर्चुअल सुनवाई की.

कोर्ट सैटलमेंट के लिए दोनों पार्टियां वर्चुअल हियरिंग के लिए सहमत

दूसरे, बेहद पेचीदे मामले में कोर्ट सैटलमेंट के लिए दोनों पार्टियां वर्चुअल हियरिंग के लिए सहमत हुईं. इस मामले की पृष्ठभूमि यह है कि बिमल कुमार सिंह ने 2014 में बैंक से कर्ज लेकर ट्रक खरीदा. ट्रक खरीदे हुए अभी कुछ ही दिन हुए थे कि ट्रक चोरी हो गया. पुलिस ने मामले की तफ्तीश की और उसमें चोरी होने की बात सही पायी गयी. इससे पहले वे ट्रक का इंश्योरेंस भी रिलायंस जनरल इंश्योरेंस से करा चुके थे.

बीमा कंपनी ने दावे को नहीं किया स्वीकार

एफआइआर होने के बाद रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के अफसरों ने बिमल कुमार के दावे को स्वीकार नहीं किया. इस दौरान बैंक ने भी बिमल कुमार से किश्त वसूलने का दबाव बनाना जारी रखा. बैंक की किश्त चुकाने के लिए प्राइवेट बैंक से लोन लेकर बिमल ने किसी प्रकार किश्तें चुकानी जारी रखीं. दरअसल बैंक ने कहा कि उसे चोरी से कोई मतलब नहीं, किश्त चाहिए. अन्यथा केस दर्ज किया जायेगा.

2018 में कंज्यूमर कोर्ट में मामला आया

इधर 2018 तक जब इंश्योरेंस कंपनी की बीमा चुकाने में आनकानी जारी रही, तो 2018 में कंज्यूमर कोर्ट में मामला आया. इस बीच वादी का कर्ज बढ़ता जा रहा था. इधर कंज्यूमर कमीशन ने इंश्योरेंस कंपनी पर विधि सम्मत दबाव बनाया, तो 21,98, 500 रुपये देने के लिए वह तैयार हुआ.

करना पड़ा समझौता

वादी पक्ष के अधिवक्ता दिनेश महाराज ने बताया कि इस मामले में सभी कुछ वादी के पक्ष में होने के बाद भी इंश्योरेंस कंपनी से समझौता करना पड़ा. चूंकि कोविड का दौर और ठहरी हुई कोर्ट की सुनवाई के चलते इस मामले के अंतिम निबटारे में काफी समय लगता. मेरे पक्षकार की माली हालत इस केस से जुड़े घटनाक्रम विशेष रूप से बैंक कर्ज के चलते काफी कमजोर हो गयी थी. इसलिए समझौता करना पड़ा. अगर परिस्थितियां कठिन नहीं होतीं, तो इंश्योरेंस कंपनी को कम से कम 75 लाख रुपये देने पड़ते. मेरे वादी का अनुभव बेहद कड़वा रहा है.

Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya

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