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हेपेटाइटिस की दवाओं की हर माह होगी समीक्षा, बनेगी नयी रणनीति

मेडिकल कॉलेज व शहरी अस्पतालों के साथ-साथ अब ग्रामीण अस्पतालों में भी हेपेटाइटिस की दवाओं का टोटा नहीं रहेगा.

जिन दवाओं की कमी है उसकी सूची बना सिविल सर्जन को सौंपने का निर्देश

संवाददाता, पटना

मेडिकल कॉलेज व शहरी अस्पतालों के साथ-साथ अब ग्रामीण अस्पतालों में भी हेपेटाइटिस की दवाओं का टोटा नहीं रहेगा. क्योंकि दवा वितरण व खरीदारी को लेकर जल्द नयी रणनीति बनाने की तैयारी की जा रही है. सूत्रों के अनुसार अब जिले के सिविल सर्जन भी विशेष परिस्थिति में हेपेटाइटिस का टैबलेट खरीद सकेंगे. इसके बाद सिविल सर्जन जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में दवाएं उपलब्ध करा सकेंगे. हालांकि यह खरीदारी के लिए स्वास्थ्य विभाग व बीएमआइसीएल से परमिशन लेनी होगी. दरअसल ग्रामीण इलाकों में हेपेटाइटिस की दवा नहीं होने से चिकित्सा प्रभारी पीएमसीएच, एनएमसीएच व अन्य शहरी अस्पतालों में रेफर करते हैं. जिससे मरीजों को पटना आना पड़ता है. इस परेशानी को निजात दिलाने के लिए हाल ही में स्वास्थ्य विभाग स्तर पर इसको लेकर समीक्षा की गयी थी, जिसमें मरीजों को परेशानी से निबटने के लिए नयी रणनीति बनाने पर चर्चा की गयी. वहीं सिविल सर्जन डॉ अविनाश सिंह ने कहा कि हेपेटाइटिस समेत सभी तरह की नि:शुल्क दवाएं मरीजों को मिलती रहें, इसका पुख्ता इंतजाम किया जा रहा है. वहीं प्रभारियों को भी कहा गया है कि जिन दवाओं की कमी हो, तत्काल सूचित करें. दवाओं को लेकर हर माह समीक्षा भी जायेगी, ताकि मरीजों को परेशानी नहीं हो.

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