पटना : पटना हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार एस्टेब्लिशमेंट ने हाइकोर्ट के सभी सेक्शन ऑफिसर और असिस्टेंट सेक्शन ऑफिसर से दो दिनों में स्पष्टीकरण मांगा है कि सूचीबद्ध होने वाले मुकदमों की संचिका को संबंधित पिउन को उनके द्वारा क्यों नहीं दिया गया. रजिस्ट्रार एस्टेब्लिशमेंट द्वारा इस संबंध में 27 मई को नोटिस भेजकर दो दिनों में स्पष्टीकरण मांगा गया है.
मालूम हो कि लॉकडाउन के दौरान हाईकोर्ट प्रशासन ने अपने सभी कर्मियों के साथ-साथ सभी शाखा के सेक्शन ऑफिसर और असिस्टेंट सेक्शन ऑफिसर को यह निर्देश दिया था कि सभी लोग अपने मोबाइल को ऑन रखेंगे. उसका स्विच ऑफ नहीं रखेंगे, क्योंकि कभी भी उन्हें हाइकोर्ट से किसी भी तरह की जानकारी के लिए फोन किया जा सकता है. हाइकोर्ट के निर्देश के बाद भी अधिकांश कर्मियों तथा पदाधिकारियों का मोबाइल स्विच ऑफ पाया गया, जिसके बाद यह स्पष्टीकरण मांगा गया था.
मिली जानकारी के अनुसार सभी संबंधित अधिकारियों ने अपना स्पष्टीकरण रजिस्ट्रार स्टेब्लिशमेंट को दे दिया है.लॉकडाउन की मार में फंसे कुष्ठ रोगियों के मसले पर सुनवाई टलीपटना. लॉकडाउन के बाद जब शहर ठहर गया, तो मांग कर खाने वाले कुष्ठ रोगियों की हालत खराब हो गयी.
इनकी खराब स्थिति को देख उत्थान नामक स्वयंसेवी संस्था ने एक लोकहित याचिका हाइकोर्ट में दायर की थी, जिस पर शुक्रवार को सुनवाई अधूरी रही. सभी पक्षों के तैयार नहीं रहने के कारण हाइकोर्ट ने इसे अगली सुनवाई के लिये 14 जून तक के लिए टाल दिया. संबंधित पक्षों के जवाब मिलने के बाद याचिकाकर्ता को देखना है कि राज्य सरकार से मिले जवाब में कितनी सत्यता है.
न्यायाधीश दिनेश कुमार सिंह और न्यायाधीश अनिल कुमार सिन्हा की खंडपीठ ने इस मामले पर आंशिक सुनवाई की. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता गौतम केजरीवाल ने कोर्ट को बताया कि वे कुष्ठ रोगियों की 40 कॉलोनियों की तरफ से उपस्थित हो रहे हैं. इन कॉलोनियों में 2000 कुष्ठ रोगी हैं. लॉकडाउन के बाद इन्हें खाना-पीना तो दूर समय पर दवा भी नहीं मिल पा रही है. ये कहीं जा भी नहीं सकते और इनके घर में दाना-पानी भी नहीं है.