करीब 140 किलोमीटर लंबे सुपौल उमगांव एनएच (227 J व L, 527A और 327E) के निर्माण में हो रहे विलंब पर पटना हाइकोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए राज्य के विकास आयुक्त को संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक करने का आदेश दिया हैं. साथ ही अगली तारीख पर कोर्ट में हलफनामा दायर कर जमीन अधिग्रहण, मुआवजा भुगतान करने के बारे में पूरी जानकारी देने का आदेश दिया.
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने इस संबंध में दायर मामले पर सुनवाई की. कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को कहा कि जमीन मालिकों को उनके जमीन का मुआवजा और उसका भुगतान करने के लिए स्पेशल कैंप लगाया जाए. जिस जमीन का अधिग्रहण कर उसका भुगतान नहीं किया गया है, उसका पैसा जिला जज के यहां जमा किया जाए.
एनएचएआइ की ओर से एडीशनल सॉलिसिटर जनरल डॉ केएन सिंह ने कोर्ट को बताया कि जमीन अधिग्रहण के लिए केंद्र सरकार ने करीब 279 करोड़ रुपये जमा किया है. अब तक करीब 74.57 करोड़ रुपया ही बतौर मुआवजा राशि का भुगतान किया गया है. अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार ने कोर्ट में माना कि इस राष्ट्रीय राज मार्ग के निर्माण में विलंब हो रहा है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि करीब 140 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राज मार्ग के निर्माण के लिए अब तक दस प्रतिशत जमीन का ही अधिग्रहण हो सका है.
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने अधिवक्ता शम्भू शरण सिंह द्वारा दूसरे एनएच से संबंधित मामले पर भी सुनवाई की. कोर्ट ने राज्य के विकास आयुक्त की कहा कि वह सुपौल जिला के डीएम, एसपी सहित जिला भू अर्जन पदाधिकारी एवं एनएचएआइ के अधिकारियों के साथ 24 जनवरी तक फिजिकल या वर्चुअल बैठक कर उचित निर्णय ले और उस पर कार्रवाई कर कोर्ट को इसकी जानकारी दें.
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कोर्ट ने मुंगेर से मिर्जाचौकी ग्रीन फ़िल्ड एनएच 80,छपरा हाजीपुर एनएच 19, औरंगाबाद दरभंगा एनएच 119, उमागांव सहरसा एनएच 527A, पिपराकोठी मोतिहारी रक्सौल एनएच 28A के मामले में सुनवाई करते हुए एनएचएआइ को कहा कि वह अगली सुनवाई में इस मामले से संबंधित प्रगति रिपोर्ट की जानकारी दें.