हाईकोर्ट ने डिप्टी कलेक्टर को लगाया 10,000 रुपये का अर्थ दंड, DCLR ने 30 राजस्व कर्मियों का वेतन रोकने के साथ लगाया था आर्थिक दंड
पटना : पटना हाईकोर्ट ने गोपालगंज के डिप्टी कलेक्टर लैंड रिफॉर्म (डीसीएलआर) के उस आदेश पर खेद जाहिर किया, जिसमें डिप्टी कलेक्टर ने सुओ मोटो कार्रवाई करते हुए तीन ब्लॉक के 30 राजस्व कर्मचारियों का ना केवल वेतन रोक दिया था, बल्कि सभी पर आर्थिक दंड भी लगाया था.
पटना : पटना हाईकोर्ट ने गोपालगंज के डिप्टी कलेक्टर लैंड रिफॉर्म (डीसीएलआर) के उस आदेश पर खेद जाहिर किया, जिसमें डिप्टी कलेक्टर ने सुओ मोटो कार्रवाई करते हुए तीन ब्लॉक के 30 राजस्व कर्मचारियों का ना केवल वेतन रोक दिया था, बल्कि सभी पर आर्थिक दंड भी लगाया था.
कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए डिप्टी कलेक्टर को क्षेत्राधिकार से बाहर कार्य करने पर दस हजार रुपये का आर्थिक दंड लगा दिया. डिप्टी कलेक्टर को जुर्माने की राशि पटना हाईकोर्ट के लीगल एड कमेटी में जमा करना होगा. इसके साथ ही कोर्ट ने डीसीएलआर के अवैध आदेश को भी रद्द कर दिया.
यह आदेश न्यायाधीश अश्वनी कुमार सिंह ने कृष्ण रंजन कुमार सिंह सहित 30 राजस्व कर्मचारियों द्वारा दायर याचिका की सुनवाई करने के बाद दिया. याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रंजन कुमार श्रीवास्तव ने अदालत को बताया कि सेवा का अधिकार अधिनियम, 2011 के तहत जो ड्यूटी अंचलाधिकारी को करना था, वह काम राजस्व कर्मचारियों के ऊपर थोप दिया गया.
बताते चलें कि आरटीजीएस एक्ट के तहत राज्य सरकार ने प्रत्येक ब्लॉक के अंचलाधिकारी को अधिकृत किया है. जो जरूरतमंद लोगों को दाखिल खारिज संबंधित कागजात देते हैं. निर्धारित समय के अंदर अंचलाधिकारी को पेपर देना था. लेकिन, डीसीएलआर ने इसका दोषी कर्मचारियों को ही बना दिया. इतना ही नहीं डीसीएलआर ने कर्मचारियों के ऊपर सुओ मोटो कार्रवाई चला दी.
इसके साथ-साथ डीसीएलआर ने पिछ्ले साल दिसंबर माह से 30 कर्मचारियों का वेतन भी रोक दिया और उन पर जुर्माना भी लगा दिया. हद तो तब हो गयी ये कर्मचारी कोरोना वायरस के कार्य में जुटे थे, लेकिन इन्हें वेतन नहीं दिया गया. अधिवक्ता श्रीवास्तव ने बताया कि डीसीएलआर ने यह सब कार्रवाई मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गोपालगंज दौरे को लेकर की थी. ताकि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार डिप्टी कलेक्टर के कार्य से खुश दिखें.
डिप्टी कलेक्टर ने छह कर्मचारियों पर तीन लाख 45 हजार, 13 कर्मचारियों पर दस लाख 50 हजार और 19 कर्मचारियों पर नौ लाख 66 हजार का जुर्माना लगाया, जिसे अदालत ने पूरी तरह से अवैध घोषित कर दिया. अधिवक्ता श्रीवास्तव ने कहा कि किसी भी मामले को लेकर डीसीएलआर की कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है. सुओ मोटो आदेश पारित करने का अधिकार केवल सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट को ही है.