पटना गया डोभी NH के निर्माण में क्यों हो रही देरी? हाईकोर्ट के वकीलों की कमेटी करेगी जांच

पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पटना गया डोभी NH के निर्माण में हो रही देरी के कारणों की जांच के लिए एक टीम गठित की है. यह टीम अगली सुनवाई में कोर्ट के सामने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी

By Anand Shekhar | July 12, 2024 7:00 PM

Patna Highcourt: पटना गया डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण और मरम्मत को लेकर दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की. कोर्ट ने इस राजमार्ग के निर्माण में आने वाली बाधाओं और समस्याओं की जानकारी लेने के लिए अधिवक्ताओं की एक कमेटी गठित की है. कोर्ट ने कहा कि यह कमेटी इस राष्ट्रीय राजमार्ग का निरीक्षण करे और एक अगस्त को अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपे. चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस मामले पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया.

कमिटी में ये किए गए शामिल

निरीक्षण कमेटी में केंद्र सरकार के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल डॉ के एन सिंह, राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार के साथ ही एक अन्य अधिवक्ता को शामिल किया गया है. कोर्ट ने कहा कि निरीक्षण के समय सभी संबंधित अधिकारीगण निरीक्षण कार्य में साथ होंगे. कोर्ट ने कहा कि निरीक्षण का रिपोर्ट कमेटी को एक अगस्त 2024 तक कोर्ट में प्रस्तुत करना है.

डायवर्सन और लिंक रोड का निर्माण बाकी

सुनवाई के दौरान एनएचएआई ने राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण और इसकी प्रगति पर रिपोर्ट पेश की. प्रतिज्ञा नामक संस्था की ओर से दायर इस जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान एनएचएआई ने कोर्ट को बताया कि इस राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण पर काम चल रहा है. पटना के पास नाथूपुरा और सरिस्ताबाद के बीच लिंक रोड बनाने की कार्रवाई की जा रही है. इस लिंक रोड को बनाने का काम चल रहा है. कोर्ट को बताया गया कि इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर सड़क निर्माण का काम काफी हद तक पूरा हो चुका है. लेकिन यातायात को पूरी तरह से शुरू करने के लिए डायवर्सन और लिंक रोड का निर्माण किया जाना है.

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संसाधनों को बढ़ाने की जरूरत

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मनीष कुमार ने कोर्ट को बताया कि जिस गति से काम किया जा रहा है, ऐसे में तय समय सीमा में निर्माण कार्य पूरा होना कठिन है. उन्होंने कहा कि तय समय सीमा में कार्य पूरा करने के लिए संसाधनों और कार्य करने वाले लोगों की संख्या बढ़ाने की जरूरत हैं.

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