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पटना-गया-डोभी सड़क निर्माण में देरी पर हाईकोर्ट सख्त, 19 जनवरी तक मांगी प्रगति रिपोर्ट

पटना हाईकोर्ट में पिछली सुनवाई में पटना-गया-डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण करने वाली कंपनी ने 30 जून तक इसका कार्य पूरा करने का आश्वासन कोर्ट को दिया था. इससे पूर्व में भी कोर्ट ने इस फेज के निर्माण में बाधा उत्पन्न होने वाले सभी अवरोधों को तत्काल हटाने का निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिया था.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 11, 2023 12:22 AM

पटना हाइकोर्ट ने पटना- गया डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के फेज एक का निर्माण कार्य से संबंधित प्रगति रिपोर्ट 19 जनवरी तक देने का निर्देश निर्माण करने वाली कंपनी को दिया है . चीफ जस्टिस संजय करोल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए निर्माण कार्य में लगायी गयी मशीन और मानव संसाधन का भी ब्योरा पेश करने का निर्देश दिया है .

कोर्ट ने अतिक्रमण को शीघ्र हटाने का निर्देश दिया था

इससे पूर्व कोर्ट ने फेज 2 के निर्माण में आ रही बाधाओं और अतिक्रमण को शीघ्र हटाने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने जिला प्रशासन को कहा था कि वह इसके लिए आवश्यक पुलिस बल और व्यवस्था मुहैया कराएं. पिछली सुनवाई में इस राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण करने वाली कंपनी ने इसका निर्माण कार्य 30 जून, 2023 तक पूरा करने का आश्वासन कोर्ट को दिया था. इससे पूर्व में भी कोर्ट ने इस फेज के निर्माण में बाधा उत्पन्न होने वाले सभी अवरोधों को तत्काल हटाने का निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिया था.

पटना के डीएम और सदर एसडीओ 23 को तलब

पटना हाइकोर्ट ने जमीन खरीदने के पूर्व ही दाखिल -खारिज किये जाने के मामले में पटना के डीएम सहित सदर एसडीओ को इस केस से संबंधित सभी मूल दस्तावेज के साथ 23 जनवरी को कोर्ट में तलब किया है . न्यायमूर्ति अनिल कुमार सिन्हा की एकलपीठ ने इस संबंध में दायर मामले पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया.

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याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता एसबीके मंगलम ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता के जमीन को 2018 में गलत लोगों के सहयोग से बेच दिया गया. जब इस बात की जानकारी याचिकाकर्ता को मिली, तो उसने अंचलाधिकारी को एक आवेदन दे अनुरोध किया कि जमीन का दाखिल- खारिज करने के पूर्व आवेदक का पक्ष सुन कर ही कोई आदेश पारित करें, किंतु अंचलाधिकारी ने जमीन खरीदने के तारीख के पूर्व के तारीख में ही जमीन का दाखिल- खारिज कर दिया, जिसे हाइकोर्ट में चुनौती दी गयी. कोर्ट ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए संबंधित अधिकारियों से जानना चाहा कि जमीन खरीद के पूर्व कैसे जमीन का दाखिल -खारिज हो गया.

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