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अवैध डिग्री पर हाइकोर्ट सख्त, फर्जी शिक्षक मामले पर बिहार सरकार से मांगा जवाब

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि राज्य के स्कूलों में बड़े पैमाने पर फर्जी डिग्री के आधार पर कई लोग नौकरी कर रहे हैं.

पटना. हाइकोर्ट ने राज्य के स्कूलों में बड़े पैमाने पर फर्जी डिग्री के आधार पर सेवा में बने रहने वाले शिक्षकों के मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से नौ जनवरी, 2021 तक जवाब मांगा है.

चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने रंजीत पंडित द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने सरकार को इस मामले में जवाब देने के लिए अंतिम समय दिया है.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि राज्य के स्कूलों में बड़े पैमाने पर फर्जी डिग्री के आधार पर कई लोग नौकरी कर रहे हैं. उन्होंने कोर्ट को बताया कि ऐसे शिक्षकों की संख्या लाख में है.

निगरानी विभाग की ओर से कहा गया कि ऐसे अवैध रूप से सरकारी सेवा में बने शिक्षकों के मामले की जांच में बाधाएं आ रही हैं. अभी तक उन शिक्षकों का फोल्डर भी पूरी तरह उपलब्ध नहीं कराया गया है.

इस मामले पर अगली सुनवाई नौ जनवरी, 2021 को की जायेगी. जानकारी हो िक राज्य सरकार फर्जी शिक्षकों के दस्तावेज मामले की जांच पिछले पांच साल से करा रही है.

पांच साल से हो रही फर्जी डिग्री की जांच

बिहार के नियोजित शिक्षकों की जांच शुरू हुए करीब 5 साल हो चुके हैं. हालांकि नियोजित शिक्षकों के 2.13 लाख दस्तावेजों की ही जांच हो पायी है. 10 लाख से अधिक दस्तावेजों की जांच बाकी है. नियोजन के प्रमाणपत्र फर्जी साबित होने से अब तक पिछले पांच वर्षों में 1521 शिक्षकों पर प्राथमिकी दर्ज करायी जा चुकी है.

जानकारी के मुताबिक तीन लाख 65 हजार 152 प्रारंभिक शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच की जा रही है. ये वे शिक्षक हैं जिनका नियोजन 2006 से 2015 के बीच हुआ था. तब इनके प्रमाण पत्रों की विश्वसनीयता को लेकर सवाल उठे थे.

शुरुआत में शिक्षा विभाग ने इसकी जांच शुरू की थी. बाद में उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद इस मामले में निगरानी विभाग जांच कर रहा है.

सूत्रों के मुताबिक प्रत्येक शिक्षक के कम -से -कम चार दस्तावेजों की जांच की जा रही है. ये चार दस्तावेजों में कक्षा 10 से ग्रेजुएशन तक के सर्टिफिकेट और ट्रेनिंग सर्टिफिकेट शामिल हैं.

जांच से जुड़े सूत्रों के मुताबिक अब तक की जांच में सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा शैक्षणिक दस्तावेजों में किया गया. इनमें अधिकतर रिकार्ड पंचायतों एवं प्रखंड स्तर पर आनन- फानन में जमा किये गये. टीइटी जैसे प्रतिष्ठित सर्टिफिकेट में जबरदस्त धांधली सामने आ रही हैं.

हजारों शिक्षकों के फोल्डर गायब

2.41 लाख शिक्षकों के रिकाॅर्ड विभिन्न बोर्डों एवं शैक्षणिक संस्थाओं से मांगे गये थे. लेकिन, वे संस्थाएं निगरानी को रिकाॅर्ड तक उपलब्ध नहीं करा पायी हैं. हजारों शिक्षकों के फोल्डर गायब हैं.

हैरत की बात यह है कि जिन नियोजन इकाइयों के फोल्डर गायब हैं, वे सभी कानूनी शिकंजे से बाहर हैं. राज्य के सभी 38 जिलों में जांच की जा रही है. निगरानी के पास प्रत्येक जिले में दो अधिकारी हैं. उन्हें अपने रेगुलर कार्य के साथ यह काम करना है.

Posted by Ashish Jha

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