हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपनी जीत पक्की करने के लिए भाजपा नेतृत्व नई रणनीति के साथ विधानसभा चुनाव में उतरी है. ‘मिशन रिपीट’ को साधने के लिए भाजपा ने परिवारवाद की नीति से परहेज करते हुए कई नेताओं के परिजनों को अपना प्रत्याशी बनाया है. इसके साथ ही संगठन में अहम ओहदे संभाल रहे और सरकार में निगम-बोर्डों के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष पर भी अपना भरोसा जताया है. सत्ता विरोधी लहर को कम करने के लिए बीजेपी ने एक मंत्री और 10 मौजूदा विधायकों की टिकटें काटते हुए चुनाव में 19 नए चेहरे उतारे हैं. बीजेपी ने संगठन के आठ नेताओं और बोर्डों-निगमों के अध्यक्षों-उपाध्यक्षों से पांच उम्मीदवार बनाए गए हैं. इसके साथ ही सात टिकट नेताओं के परिजनों को दिए गए हैं.
भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व भले ही एक पद-एक सिद्धांत का दावा करता है. लेकिन, राज्य में भाजपा ने संगठन व बोर्डों-निगमों में काबिज नेताओं को उम्मीदवार बनाने के लिए कई सिटिंग विधायकों और पूर्व प्रत्याशियों के टिकट काटने में कोई गुरेज नहीं किया है. यही वजह है कि पार्टी को कई सीटों पर बगावत का सामना करना पड़ रहा है. भाजपा के सभी 68 उम्मीदवारों पर नजर डालें तो पार्टी ने 32 मौजूदा विधायकों को टिकट देने के साथ-साथ उन प्रमुख नेताओं के परिजनों को टिकट देने का ध्यान रखा है जिनके टिकट काटे गए हैं.
संगठन के तमाम नेताओं को भी पार्टी ने चुनाव में टिकट दिया है. प्रदेश भाजपा के तीनों महामंत्रियों त्रिलोक जमवाल, त्रिलोक कपूर और मौजूदा विधायक राकेश जमवाल को बिलासपुर, पालमपुर और सुंदरनगर से मैदान में उतारा है. इसी प्रकार से प्रदेश भाजपा के कोषाध्यक्ष संजय सूद को शिमला शहरी से, मुख्य प्रवक्ता रणधीर शर्मा को नैना देवी जी से और महासू भाजपा अध्यक्ष अजय श्याम को ठियोग से, संगठनात्मक जिला सुंदरनगर के अध्यक्ष दिलीप ठाकुर को सरकाघाट से, शिमला जिला भाजपा अध्यक्ष रवि मेहता को शिमला ग्रामीण, प्रवक्ता प्रो.रामकुमार को हरोली और सह-मीडिया प्रमुख रजत ठाकुर को धर्मपुर से टिकट दिया है.