Republic Day: जब भी हम गणतंत्र दिवस की बात करते हैं तो हमारा ध्यान 26 जनवरी 1950 की ओर जाता है, जब भारत का संविधान लागू हुआ था. लेकिन भारत में गणतंत्र की जड़ें इससे भी हजारों साल पुरानी हैं और इसका सबूत बिहार का वैशाली है. यह ऐतिहासिक स्थल दुनिया के पहले गणतंत्र का गवाह है, जहां लोकतंत्र की नींव रखी गई थी.
लोकतंत्र की जननी वैशाली
बिहार में स्थित वैशाली को दुनिया का पहला गणतंत्र माना जाता है. यह वही जगह है जहां शासकों का चुनाव जनता की राय से होता था. ऐतिहासिक साक्ष्यों और खुदाई से पता चलता है कि ढाई हजार साल पहले वैशाली में एक व्यवस्थित गणतंत्र की स्थापना हुई थी. इसका प्रमाण जैन और बौद्ध धर्म से जुड़े कई ग्रंथों में भी मिलता है. जिसमें वैशाली और दूसरे महाजनपदों का जिक्र है. इन ग्रंथों के अनुसार वैशाली 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व तक एक गणतंत्र के रूप में स्थापित हो चुका था. 563 में गौतम बुद्ध के जन्म से पहले, जो इसे दुनिया का पहला गणतंत्र बनाता है. यह स्थान भगवान महावीर की जन्मभूमि और भगवान बुद्ध की कर्मभूमि के रूप में भी प्रसिद्ध है.
अशोक स्तंभ
वैशाली के कोल्हू गांव में स्थित इस स्तंभ का निर्माण सम्राट अशोक ने करवाया था. 18.3 मीटर ऊंचे इस स्तंभ पर सिंह की आकृति बनी हुई है. यह लाल बलुआ पत्थर से बना है और अन्य अशोक स्तंभों से अलग है.
प्राचीन संसद स्थल
अशोक स्तंभ के पास खुदाई में मिला टीला करीब 1 किलोमीटर में फैला है. यह 2 मीटर ऊंची दीवारों और 43 मीटर चौड़ी खाई से घिरा हुआ है. ऐसा माना जाता है कि यह प्राचीन संसद स्थल था, जहां गणतंत्र की नीतियों पर चर्चा होती थी और जनता की समस्याओं का समाधान किया जाता था.
विश्व शांति स्तूप
जापान के निप्पोंजी बौद्ध समुदाय द्वारा निर्मित यह स्तूप शांति और धर्म का प्रतीक है. इसकी गोलाकार संरचना और ध्यानमग्न बुद्ध की स्वर्ण प्रतिमा इसे एक अद्वितीय धार्मिक स्थल बनाती है.
बौद्ध स्तूप
1958 में खुदाई के दौरान यहां भगवान बुद्ध के पार्थिव अवशेष मिले थे. यह स्थान बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए पवित्र है और भगवान बुद्ध के सम्मान में यहां बनाए गए स्तूपों में से एक है.
बावन पोखर मंदिर
यह पालकालीन मंदिर बावन पोखर के उत्तरी तट पर स्थित है. इसमें हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं, जो वैशाली की धार्मिक विविधता को दर्शाती हैं.