देशभर के ट्रांसपोर्टर और ड्राइवर हिट एंड रन मामले में केंद्र सरकार के नये कानून का विरोध करते हुए सोमवार से तीन दिनों की हड़ताल पर चले गये. मंगलवार को हड़ताल का दूसरा दिन है. हड़ताल का राजधानी पटना समेत राज्य के अन्य जिलों में भी दिखने लगा है. मंगलवार को भी बस, ट्रक और अन्य व्यावसायिक वाहनों के चालकों ने अपनी गाड़ियां नहीं चलायीं. जो गाड़ियां चल रही है वो यात्रियों से मनमाना पैसा वसूल रहे हैं. 50 रुपया के बदले 100 रुपया का किराया वसूला जा रहा है. हड़ताल के कारण पटना से दूसरे जिले और दूसरे राज्यों के लिए इक्का दुक्का बसें ही चलीं. बस और ट्रक चालकों की इस हड़ताल से इससे यात्रियों तथा कारोबारियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा.
हालांकि, सोमवार को बिहार राज्य पथ परिवहन निगम की 10 से 15 फीसदी बसें सड़कों पर नजर आयीं. मंगलवार को भी इसे चलाने की तैयारी है. नये साल के पहले दिन तो राजधानी में निगम की कुछ सिटी बसें आसपास के जिलों के लिए चलीं. लेकिन, मंगलवार को बता दें कि पटना के बांकीपुर बस स्टैंड से हर रोज करीब 350 बसें राज्य के लगभग सभी जिलों के लिए और नगर सेवा के लिए चलती हैं. सोमवार को यहां से सिर्फ 70 से 80 बसें ही चलीं. वहीं पाटलिपुत्र बस टर्मिनल, बैरिया से हर रोज 600 से अधिक बसें खुलती हैं, यहां से भी अधिकतर बसें नहीं चलीं. यहां आये अधिकतर यात्रियों के लौटना पड़ा. मालूम हो बिहार राज्य पथ परिवहन निगम के तहत बहुत सारी बसें पीपीपी मोड पर चलती हैं. पीपीपी मोड पर चलने वाली अधिकतर बसें सोमवार को नहीं चलीं.
बिहार मोटर ट्रांसपोर्ट फेडरेशन के अध्यक्ष उदय शंकर प्रसाद सिंह ने कहा कि यह हड़ताल पूर्ण रूप से चालकों के हित को देखते हुए की गयी है. उन्होंने इस हड़ताल के तीन जनवरी तक जारी रखने की बात कही. उन्होंने कहा कि नये साल के पहले दिन करोड़ों रुपये का व्यापार इससे प्रभावित रहा. अगले दो दिनों में और भी अधिक नुकसान होगा. इसलिए फेडरेशन की ओर से गृह मंत्री अमित शाह को पत्र भेज कर इस कानून पर दोबारा विचार करने की मांग की गयी है.
ट्रकों की हड़ताल होने से दूध, सब्जी और फलों की आवक नहीं होगी और कीमतों पर इसका सीधा असर पड़ेगा. इसके साथ ही टैंकर चालक भी हड़ताल पर हैं, इसके कारण पेट्रोल-डीजल की आपूर्ति भी रुक जायेगी.
बस और ट्रक चालकों की हड़ताल को ऑटो चालकों ने नैतिक समर्थन दिया है. इसके कारण नये साल पर शहर के अंदर तो ऑटो चले, लेकिन बैरिया बस स्टैंड, पटना गया रोड और बायपास सहित शहर के कई बाहरी इलाकों में एक भी ऑटो का परिचालन नहीं हुआ. सड़क पर बस या ऑटो नहीं चलने से दिन भर रास्ता खाली रहा. बिहार राज्य ऑटो रिक्शा टेंपो चालक संघ (एआइसीसीटीयू) और अन्य संघों की मानें, तो शहर में करीब 60 फीसदी ऑटो का परिचालन बंद रहा. देर शाम के बाद शहर के अंदर भी इसका असर अधिक देखा गया. संघ के उपाध्यक्ष नवीन मिश्रा ने कहा कि ट्रक और बस चालकों की हड़ताल को उनका पूरा समर्थन है.
नये कानून के तहत रोड एक्सीडेंट के बाद भागने वाले ड्राइवरों को 10 साल की सजा और सात लाख रुपये तक का अर्थदंड का प्रावधान है. हालांकि, इसमें ये भी है कि कोई आरोपी ड्राइवर घायल को अस्पताल पहुंचाता है, तो उसकी सजा कम भी कर दी जायेगी. हालांकि नये कानून से पहले ड्राइवरों को थाने से ही जमानत मिल जाती थी. देश भर के ट्रांसपोर्टर और ड्राइवर इसी नये कानून का विरोध कर रहे हैं