फसल बर्बाद कर रहे घोड़परास व जंगली सूअर
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ प्रेम कुमार, कृषि मंत्री मंगल पांडेय व पंचायती राज विभाग के अधिकारियों ने घोड़परास और जंगली सूअरों के कारण फसलों की हो रही क्षति की समीक्षा की.
– पर्यावरण, वन एवं जलवायु, कृषि व पंचायती राज विभाग की संयुक्त बैठक में लिया गया निर्णय – वैशाली, पूर्वी व पश्चिमी चंपारण, बेगूसराय, मुजफ्फरपुर, गया व बक्सर के किसान अधिक प्रभावित संवाददाता, पटना पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ प्रेम कुमार, कृषि मंत्री मंगल पांडेय व पंचायती राज विभाग के अधिकारियों ने घोड़परास और जंगली सूअरों के कारण फसलों की हो रही क्षति की समीक्षा की. पटना स्थित कृषि भवन में बैठक कर इससे किसानों को निजात दिलाने की रणनीति पर चर्चा की गयी. बैठक में बताया गया कि पंचायती राज विभाग के माध्यम से पंचायत के मुखिया को इन जानवरों से निबटने का अधिकार पूर्व से प्राप्त है. लेकिन, आखेटक नहीं मिल रहे. बैठक में तय हुआ कि वन विभाग के गठित पैनल के आखेटकों का इस कार्य के लिए सहयोग लिया जायेगा. इस पर होने वाला खर्च कृषि विभाग की ओर से दिया जायेगा. लगभग 3 लाख घोड़परास तथा 67 हजार जंगली सूअर की संख्या अनुमानित की गयी है. 34 जिलों में घोड़परास व 30 में जंगली सूअरों का आतंक कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने बताया कि बिहार के 34 जिलों में घोड़परास तथा 30 जिलों में जंगली सूअर के कारण फसलों को भारी नुकसान हो रहा है. सबसे अधिक वैशाली, पूर्वी व पश्चिमी चंपारण, बेगूसराय, मुजफ्फरपुर, गया एवं बक्सर के किसान प्रभावित हैं. घोड़परास झुंड में आकर अरहर एवं गन्ना की फसलों को बरबाद कर देते हैं. जबकि जंगली सूअर आलू, टमाटर, फूलगोभी, मक्का की फसलों को गंभीर क्षति पहुचाते हैं. वन विभाग द्वारा घोड़परास, जंगली सूअरों द्वारा फसल नष्ट करने की स्थिति में 50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर का मुआवजा दिया जाता है. छह अगस्त को पौधारोपण करेगा कृषि विभाग इस दौरान मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने कृषि मंत्री से विभाग के पंचायत से लेकर जिला स्तर के कार्यालयों में पौधारोपण की अपील की. इस पर छह अगस्त को कार्यालयों में पौधारोपण की तिथि तय की गयी. मौके पर वंदना प्रेयषी सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, एन.जवाहर बाबू, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, अभय कुमार, निदेशक, पारिस्थितिकी, अभिषेक कुमार, निदेशक, उद्यान व अन्य अधिकारी मौजूद थे.
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