Bihar Land Survey: कैसे बनेगी वंशावली, क्या मृत्यु प्रमाण पत्र जमा करना है जरूरी, जानिए पूरा नियम

जमीन सर्वे के लिए क्या वंशावली की जरूरत पड़ेगी और अगर पड़ेगी तो ये कैसे बनेगा, क्या इसके लिए कोई दस्तावेज लगेगा. लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. तो आज हम आपको बता रहे हैं कि वंशावली कैसे बनेगी...

By Anand Shekhar | August 31, 2024 7:08 PM

Bihar Land Survey: बिहार में भूमि सर्वेक्षण का कार तेजी से चल रहा है. इस दौरान जमीन के पुराने कागजात और रिकार्ड की जरूरत पड़ सकती है. यह समस्या तब और गंभीर हो जाती है जब पुराने कागजात या तो घर पर उपलब्ध नहीं होते हैं या फिर कहीं गुम हो चुके होते हैं. लेकिन ऐसे हालातों में घबराने की जरूरत नहीं है. सरकार ने इस प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कुछ उपाय किए हैं ताकि ग्रामीणों को अनावश्यक परेशानी न हो.

जमीन सर्वे के लिए जिन दस्तावेजों की जरूरत पड़ सकती है, उनमें जमीन के दस्तावेज, लगान रसीद, दादा का मृत्यु प्रमाण पत्र, वंशावली और आधार कार्ड शामिल हैं. आपके पास कुछ ऐसे दस्तावेज होने चाहिए जो इस प्रक्रिया में काम आ सकें.

कैसे बनेगी वंशावली?

वंशावली के लिए आपको किसी सरकारी दफ्तर के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है. अगर आप जमीन के हकदार हैं तो आप खुद ही वंशावली तैयार करके जमा कर सकते हैं. इसमें जिनके नाम से खतियान शुरू है, वहां से लेकर निचली पीढ़ी तक के लोगों के नाम होंगे. यह वंशावली संबंधित पंचायत के सरपंच द्वारा तैयार और प्रमाणित की जाएगी, ताकि जांच के बाद कागजी कार्रवाई आगे बढ़ सके

क्या वंशावली में मृत्यु प्रमाण पत्र जमा करना जरूरी है?

जमीन सर्वे के लिए वंशावली में पूर्वजों की मृत्यु से संबंधित प्रमाण पत्र जमा करने की जरूरत नहीं है. लेकिन वंशावली तैयार करते समय पूर्वजों की मृत्यु के बारे में उल्लेख करना होगा. गाँव के मुखिया या सरपंच द्वारा लिखित होने पर भी यह मान्य होगा. स्वघोषित वंशावली का फॉर्म जमा करते समय अगर पूर्वजों के नाम पर जमीन है, तो सिर्फ उनकी मृत्यु से संबंधित जानकारी देनी होगी.

वंशावली में किन बातों का उल्लेख होना चाहिए?

अगर मृत्यु प्रमाण पत्र उपलब्ध है तो जिसके नाम पर जमीन है उसका नाम वंशावली में तारीख के साथ दर्ज होना चाहिए. अगर मृत्यु प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं है तो वर्ष का उल्लेख होना चाहिए. वंशावली में बेटी और बहन का भी उल्लेख होना जरूरी है. नियमानुसार उन्हें भी अधिकार पाने का हक है. कोर्ट ने भी इस पर सहमति जताई है. अगर बेटी या बहन हिस्सा नहीं लेना चाहती है तो लिखित में सहमति देना अनिवार्य है. ऐसे व्यावहारिक पहलू यह है कि वंशावली में बेटी और बहन का उल्लेख नहीं किया जाता है.

शिविर लगाकर लोगों को किया जा रहा जागरूक

वर्तमान में पंचायतवार शिविर लगाकर ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है कि वे भूमि सर्वेक्षण के लिए अपने दस्तावेज तैयार रखें. यह सर्वेक्षण पुराने भूमि रिकार्ड के आधार पर किया जा रहा है और जिस जमीन पर जो कब्जा है, उसे ही आधार मानकर भूमि से संबंधित समस्याओं का निदान किया जाएगा. अगर किसी प्रकार की गड़बड़ी पाई जाती है, तो उसमें सुधार कर इसे दुरुस्त किया जाएगा.

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दस्तावेज कर लें दुरुस्त

सरपंच की इस प्रक्रिया में अहम भूमिका है, जो न केवल वंशावली प्रमाणित करेंगे बल्कि ग्रामीणों को सही दस्तावेज तैयार करने के लिए भी मार्गदर्शन देंगे. इसलिए ग्रामीणों को चाहिए कि वे इस मौके का लाभ उठाएं और अपने दस्तावेजों को दुरुस्त कर लें ताकि भविष्य में किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े.

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