गॉल ब्लैडर की पथरी की अनदेखी की, तो हो सकता कैंसर

गॉल ब्लैडर अर्थात पित्त की थैली में पथरी काफी लोगों को हो जाती है, विशेष रूप से महिलाओं में इसकी संख्या ज्यादा होती है

By Prabhat Khabar News Desk | October 5, 2024 12:27 AM

संवाददाता, पटना गॉल ब्लैडर अर्थात पित्त की थैली में पथरी काफी लोगों को हो जाती है, विशेष रूप से महिलाओं में इसकी संख्या ज्यादा होती है. इससे बचाव के लिए घी व वनस्पति तेल (डालडा) से बचें, यदि गॉल ब्लैडर के अल्ट्रासाउंड में पथरी दिखे और दर्द आदि कोई दिक्कत न भी हो तब भी ऑपरेशन जरूर कराएं. लंबे समय तक अनदेखा करने से गॉल ब्लैडर का कैंसर भी हो सकता है, उसके बाद ऑपरेशन संभव नहीं रहता. वहीं सर्जरी के बाद बॉयोप्सी जरूर करा लेनी चाहिए. ताकि कैंसर की जानकारी मिल जाये. यह कहना है जापान से आये डॉ यूसी ओमी का. इंडियन एसोसिएशन ऑफ सर्जिकल गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी की ओर से शुक्रवार को 34वां इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस (इसीकॉन) 2024 का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के दूसरे दिन गॉल ब्लाडर, पैंक्रियाज, बड़ी आंत और छोटी आंत से संबंधित बीमारियों पर विस्तृत चर्चा की गयी. आइजीआइएमएस के चिकित्सा अधीक्षक व इसीकॉन के आयोजन सचिव डॉ मनीष मंडल ने बताया कि दूसरे दिन वैज्ञानिक सत्र में 20 शोध पत्रों को अलग-अलग विशेषज्ञों ने प्रस्तुत किये. वहीं नीदरलैंड से आये डॉ वैन लैनशॉट ने खाने की नली (इसोफेगस) में विभिन्न प्रकार के दूरबीन द्वारा एवं रोबोट तकनीक से ऑपरेशन के बारे में वीडियो दिखा जानकारी दी. वहीं अमेरिका से आये डॉ सैम अटाला ने कहा कि रोबोट तकनीक से मल द्वार के कैंसर की सर्जरी काफी आसान हो गयी है. इससे शरीर पर कोई चीरा या दाग नहीं पड़ता है. न्यूयॉर्क से आये डॉ शारिक नाजिर ने बताया कि मोटापे की सर्जरी कई विधि से हो सकती है. हैदराबाद से आये डॉ जीवी राव ने आर्टिफिशियल इंटिलेजेेस द्वारा जीआइ सर्जन को कैसे ऑपरेशन करने में फायदा हो सकता है और मरीज को ऑपरेशन के दौरान कोई नुकसान नहीं पहुंचे, इसकी भी वीडियो के माध्यम से जानकारी दी. अधिवेशन में डॉ पारसार्थी (कोयमबटूर), डॉ बैजू सेनाधीपक (त्रिवेंद्रम), डॉ सेंथिल (चेन्नई), डॉ संजीव पाटिल (हैदराबाद) आदि शामिल थे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version