पटना के आइजीआइएमएस (IGIMS) अस्पताल में अब लिवर, पैंक्रियाज, गॉल ब्लेडर व आंत की सर्जरी रोबोट से होगी. इसके लिए अस्पताल प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी है. इसके लिए अलग से ऑपरेशन थियेटर बनाये जा रहे हैं. ओटी का निर्माण पूरा होने के बाद मशीन के लिए टेंडर होगा. फिर रोबोट से सर्जरी शुरू कर दी जायेगी. करीब 85 करोड़ रुपये की लागत से नयी तकनीक से लैस रोबोट संस्थान में आयेगा. वहीं विशेषज्ञों के अनुसार चीरा और दूरबीन तकनीक वाले ऑपरेशन के मुकाबले रोबोटिक सर्जरी ज्यादा सटीक व सुरक्षित होती है. इसमें चीरा छोटा होने से रक्तस्राव और संक्रमण का जोखिम कम होता है.
आइजीआइएमएस में रोबोट सर्जरी का नेतृत्व डॉ पीके झा की देखरेख में किया जायेगा. इसके लिए डॉ झा को ट्रेनिंग के लिए दिल्ली भेजा गया था. वह दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल में 15 दिन तक आधुनिक तरीके से होने वाली रोबोटिक सर्जरी की ट्रेनिंग लेने के बाद लौटे हैं. डॉ पीके झा ने बताया कि मेट्रो व विदेशों में रोबोटिक सर्जरी का चलन काफी तेजी से बढ़ रहा है. इसकी सफलता दर अधिक होने से अब इसकी मांग तेजी से बढ़ी है. दूसरे ऑपरेशन की तुलना में रोबोटिक सर्जरी सुरक्षित और ज्यादा सफल है. लखनऊ के पीजीआइ व दिल्ली के कई बड़े अस्पतालों में यह ऑपरेशन किया जा रहा है.
संस्थान में कैंसर समेत गैस्ट्रो आदि महत्वपूर्ण सर्जरी विभाग में रोबोट से ऑपरेशन होंगे. इसमें खासकर लिवर, पैंक्रियाज, गॉल ब्लेडर, आंत, पेट में ट्यूमर आदि के ऑपरेशन हो सकेंगे. इसके अलावा इंडोक्राइन सर्जरी, यूरोलॉजी और कार्डियक थोरोसिक एंड वेस्कुलर सर्जरी यानी सीटीवीएस व पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के डॉक्टर रोबोट से ऑपरेशन करेंगे. आने वाले समय में किडनी का ट्रांसप्लांट भी रोबोट से करने की तैयारी की गयी है.
डॉ पीके झा ने बताया कि रोबोटिक सर्जरी में डॉक्टर कंसोल के जरिये संचालित करते हैं. रोबोट 3D हाइ डेफिनिशन विजुअल सिस्टम के जरिये दूरबीन आदि छोटे उपकरण शरीर में प्रवेश कराते हैं. रोबोट के बाजुओं से जुड़े हुए उपकरणों को संचालित करने के लिए एक कंप्यूटर कंसोल का प्रयोग किया जाता है. मास्टर कंसोल की मदद से रोबोट कार्य करता है. डॉक्टर स्क्रीन पर देखते हुए गतिविधियों को अंजाम देते हुए आगे बढ़ते हैं.
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चीरा बहुत छोटा लगता है
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रक्तस्राव कम होता है
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संक्रमण व अन्य जोखिम कम होता है
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अस्पताल में कम दिन तक रुकना पड़ता है