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IGIMS ने क्रिटिकल मरीज को लौटाया, कहा- ऐसे मरीजों का यहां इलाज नहीं होता है!

IGIMS रंजन सिंह काउंटर पर बैठे अपने आईजीआईएमएस के कर्मचारी से अपनी पीड़ा शेयर करते हुए कहा कि सर, मैं गरीब हूं. मेरे पास पैसा नहीं है. वहां कैसे इलाज करवा सकते हैं. शुरूआती इलाज के लिए तो मैंने उसे प्राइवेट अस्पताल में ही भर्ती करवाया हूं.

By RajeshKumar Ojha | October 27, 2024 7:29 PM

IGIMS में क्रिटिकल मरीजों का इलाज नहीं होता. फिर भी आप अपने मरीज का यहां इलाज करवाना हैं तो इसके लिए आपको आईजीआईएमएस अधीक्षक से अनुमति लेनी होगी. जमुई से अपने बेटे अंकित कुमार सिंह को इलाज के लिए लेकर आईजीआईएमएस में आए रंजन सिंह को आईजीआईएमएस के इमरजेंसी काउंटर पर बैठा कर्मचारी समझाया. उसका कहना था कि आस पास के प्राइवेट अस्पताल में चले जाए वहां आपका इलाज हो जायेगा.

रंजन सिंह काउंटर पर बैठे अपने आईजीआईएमएस के कर्मचारी से अपनी पीड़ा शेयर करते हुए कहा कि सर, मैं गरीब हूं. मेरे पास पैसा नहीं है. वहां कैसे इलाज करवा सकते हैं. शुरूआती इलाज के लिए तो मैंने उसे प्राइवेट अस्पताल में ही भर्ती करवाया हूं.

वहां पर उसे वेंटिलेटर पर रखा गया है. हर दिन एक बड़ी रकम वसूली जा रही है. लेकिन, मेरे बेटे की हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा है. मुझपर रहम करें और मेरे बेटे को अपने अस्पताल में भर्ती कर लें. लेकिन, वहां बैठे कर्मचारी पर इसका कोई असर नहीं पड़ा. जबरन उसे वहां से भगाया और वह फिर वहां अपने काम में लग गया.

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दरअसल, अंकित सड़क हादसे का शिकार हो गया है. डॉक्टरों का कहना है कि अंकित के ब्रेन में चोट लगी है, जिसके कारण उसे कई प्रकार की परेशानी हो रही है. बेहतर इलाज के लिए उसे आईजीआईएमएस या फिर कोई बड़े सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाने की जरुरत है. बेटे के प्राण की रक्षा के लिए बाप आईजीआईएमएस में फरियाद लेकर आया था. लेकिन, आईजीआईएमएस के कर्मचारियों का जवाब सुनकर वह वहीं बैठकर रोने लगा.

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इधर, इस मामले पर आईजीआईएमएस अधीक्षक मनीष मंडल का कहना है कि ऐसा नहीं है. हमारे यहां जो भी मरीज आते हैं वे क्रिटिकल ही आते हैं. हम लोग उसे बेहतर कर के भेजते हैं. जिसने यह सब कहा है पता करता हूं और उसपर कार्रवाई भी होगी. उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में ब्रेन हैमरेज से जुड़े मरीजों की संख्या बढ़ी है.अस्पताल में बेड रहने पर किसी को हम लोग नहीं लौटाते हैं. आईजीआईएमएस में क्रिटिकल मरीज ही आते हैं.

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