IIT पटना बना रहा वर्चुअल डॉक्टर, एप की मदद से होगा इलाज, जानें क्या होगा खास
आने वाले दिनों में यह मोबाइल एप इलाज के तरीकों में बड़ा बदलाव लेकर आ सकता है. इस प्रोजेक्ट पर आइआइटी पटना के शोधार्थी तेजी से काम कर रहे हैं. इस काम में उनकी मदद आइआइटी, मुंबई और एम्स, ऋषिकेश के विशेषज्ञ कर रहे हैं.
पटना. अब जल्द ही मरीजों के इलाज में वर्चुअल डॉक्टर भी अहम भूमिका निभायेंगे. ये वर्चुअल डॉक्टर कोई दूर बैठा इंसान नहीं बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का इस्तेमाल कर बनाया गया एंड्रॉयड एप होगा. आने वाले दिनों में यह मोबाइल एप इलाज के तरीकों में बड़ा बदलाव लेकर आ सकता है. इस प्रोजेक्ट पर आइआइटी, पटना के शोधार्थी तेजी से काम कर रहे हैं. इस काम में उनकी मदद आइआइटी, मुंबई और एम्स, ऋषिकेश के विशेषज्ञ कर रहे हैं.
2024 तक पूरा होने की उम्मीद
इस प्रोजेक्ट पर आइआइटी पटना के शोध छात्र अभिषेक तिवारी को देश की प्रतिष्ठित प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप मिली है. इस प्रोजेक्ट में उनकी गाइड आइआइटी, पटना में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग विभाग की अध्यक्ष व एसोसिएट प्रोफेसर डॉ श्रीपर्णा साहा और आइआइटी, मुंबई में कंप्यूटर साइंस के प्रो पुष्पक भट्टाचार्य हैं. वहीं, एम्स ऋषिकेश की डॉ मीनाक्षी धर शोध में तैयार आउटपुट मेडिकल क्षेत्र में कितना उपयोगी है, इसको चेक करती हैं. इस प्रोजेक्ट पर करीब एक वर्ष से काम चल रहा है और 2024 तक इसके पूरा होने की उम्मीद है.
मरीज से बीमारी के लक्षण पूछेगा वर्चुअल डॉक्टर
श्रीपर्णा साहा ने बताया कि वर्चुअल डॉक्टर जूनियर डॉक्टर की तरह काम करेगा. यह मरीज से बात करेगा और बीमारी के लक्षणों को पूछेगा. साथ ही जरूरत होने पर फोटो भी लेगा. टेक्स्ट और इमेज के एकत्र डाटा के आधार पर वर्चुअल डॉक्टर बीमारी का पता लगाने में मदद करेगा और इसकी जानकारी सीनियर डॉक्टर को देगा. अब इस डाटा की मदद से डॉक्टर मरीज का आसानी से इलाज करेंगे. इससे मरीज के लक्षणों को पूछने में लगने वाला डॉक्टरों का समय भी बचेगा.
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गांवों के लोगों को विशेष लाभ
डॉ श्रीपर्णा साहा कहती हैं कि इसे बनाने का मुख्य उद्देश्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर देश के दूर दराज इलाके में मौजूद लोगों तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाना है. ग्रामीण इलाके के लोगों को इसका विशेष रूप से लाभ होगा. अगर यह प्रोजेक्ट सफल होता है, तो इससे टेली मेडिसिन के क्षेत्र का बड़ा विकास होगा. शहरों में बैठे डॉक्टर से ग्रामीण इलाके के मरीज अपने फोन में मौजूद वर्चुअल डॉक्टर एप की मदद से आसानी से और पहले से बेहतर इलाज करा सकेंगे. वह कहती हैं कि हमारे देश में डॉक्टरों की संख्या जरूरत से काफी कम है. सरकारी अस्पतालों में भीड़ लगी रहती है और डॉक्टरों पर मरीजों का अत्यधिक दबाव है, लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से जहां एक ओर डॉक्टरों का काम आसान होगा, वहीं दूसरी ओर मरीजों को सुलभता से बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकेंगी.