‘वकीलों के लिए कल्याणकारी योजनाएं शुरू करना असंभव’
नये वकील बनने के लिए लिए जाने वाले 750 रुपये की नामांकन राशि में ना तो कोई भी राज्य बार काउंसिल कभी भी किसी वकील को चिकित्सा सहायता दे पायेगा और न ही मरणोपरांत उसके परिजनों को मदद कर पायेगा .
पटना. नये वकील बनने के लिए लिए जाने वाले 750 रुपये की नामांकन राशि में ना तो कोई भी राज्य बार काउंसिल कभी भी किसी वकील को चिकित्सा सहायता दे पायेगा और न ही मरणोपरांत उसके परिजनों को मदद कर पायेगा . नये वकीलों को वकील का लाइसेंस लेने के लिए नामांकन की राशि वर्ष 1961 में 250 रुपये दी की गयी थी, उसको संसद द्वारा वर्ष 1993 में 750 रुपये किया गया. वर्ष 1993 के बाद से अभी तक इस 750 की राशि पर बढ़ती मंहगाई दर के दृष्टिकोण से पुनर्विचार करना आवश्यक था, जो संसद द्वारा अभी तक नहीं किया जा सका है .इधर सर्वोच्च न्यायालय ने इसी बात पर जोर देते हुए सामान्य जाति और एससी,एसटी के नये वकीलों को बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए इसी पुराने फीस को लेने की बात सभी बार काउंसिल को कही है. ये बात काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा और बिहार बार काउंसिल के चेयरमैन रमाकांत शर्मा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहीं. इन्होंने कहा कि मॉडल रूल्स के सफल कार्यान्वयन की वजह से हम बहुत जल्द कुछ कल्याणकारी योजनाओं को लायेंगे, लेकिन जो सहायता बार काउंसिल के द्वारा हम पहले से करते आ रहे थे वैसा किया जाना अब असंभव है.
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