बदल रहा सड़क निर्माण का ट्रेंड, कंक्रीट वाले सड़कों की बढ़ रही मांग

राज्य में सड़कों के निर्माण का ट्रेंड अब बदल रहा है. अब कम खर्च में अधिक टिकाऊ सड़क की जरूरत है.

By Prabhat Khabar News Desk | August 23, 2024 12:36 AM

– गुणवत्तापूर्ण तरीके से बनी अलकतरा वाली सड़कों की उम्र करीब 10 से 15 साल होती है. प्रति किमी लागत करीब तीन से चार करोड़ रुपये है – गुणवत्तापूर्ण तरीके से बनी कंक्रीट वाली सड़कों की उम्र करीब 30 से 40 साल होती है. प्रति किमी लागत करीब छह से सात करोड़ रुपये है कृष्ण कुमार, पटना राज्य में सड़कों के निर्माण का ट्रेंड अब बदल रहा है. अब कम खर्च में अधिक टिकाऊ सड़क की जरूरत है. ऐसे में अलकतरा वाली सड़कों की जगह अब कंक्रीट की सड़कों ने लेना शुरू कर दिया है. तकनीकी तौर पर इसे सही माना जा रहा है क्योंकि अलकतरा वाली सड़कों की तुलना में कंक्रीट की सड़कों की उम्र करीब तीन गुना तक होती है. हालांकि, इसके निर्माण पर अलकतरा वाली सड़कों की तुलना में करीब दोगुनी लागत आती है. सूत्रों के अनुसार प्रति किमी अलकतरा वाली सड़कों की निर्माण लागत तीन से चार करोड़ रुपये आती है. इन सड़कों का निर्माण अपेक्षाकृत जल्द हो जाता है और इनका रखरखाव भी कंक्रीट वाली सड़कों की तुलना में सस्ता होता है. यदि गुणवत्तापूर्ण तरीके से अलकतरा वाली सड़क बनी हो, तो इनकी उम्र या टिकाऊपन करीब 10 से 15 साल होती है. वहीं ,गुणवत्तापूर्ण तरीके से कंक्रीट वाली सड़कों की निर्माण लागत प्रति किमी करीब छह से सात करोड़ रुपये होती है. इन सड़कों के निर्माण में अधिक समय, मेहनत और लागत तो लगती है, लेकिन इनका टिकाऊपन (उम्र) अपेक्षाकृत 30-40 साल होता है. इसके साथ ही इनका रखरखाव भी महंगा होता है. अलकतरा से वायु प्रदूषण इसके साथ ही अलकतरा वाली सड़कों को बनाने के समय अलकतरा पिघलाने की वजह से वायु प्रदूषण होता है. सड़क बनने के बाद गर्मी के मौसम में तापमान बढ़ने पर अलकतरा वाली सड़कों की कठोरता खत्म हो जाती है. इससे वाहनों के गुजरने से सड़कों को दबने के कारण इसमें गड्ढा होने की आशंका बनी रहती है. इसके साथ ही बारिश के मौसम में जलजमाव से सभी सड़कों को बहुत नुकसान होता है. साथ ही सड़क जल्द खराब हो जाती है. इससे सड़क हादसों का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में इन सड़कों के लगातार रखरखाव की जरूरत होती है. कंक्रीट वाली सड़कों पर वाहनों का माइलेज सही दूसरी तरफ, कंक्रीट वाली सड़कों के निर्माण में कम प्रदूषण होता है. इन सड़कों पर चलने वाली गाड़ियां बेहतर ईंधन दक्षता (माइलेज) देती हैं. अलकतरा वाली सड़कों की तुलना में इन सड़कों पर तापमान या जलजमाव का असर कम होता है. ऐसे में सड़कों के जल्द खराब होने की संभावना अपेक्षाकृत कम हो जाती है. ऐसे में रखरखाव की जल्द जरूरत नहीं होती है, लेकिन जब कभी रखरखाव होता है, तो अलकतरा वाली सड़कों की तुलना में इसमें अधिक लागत आती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version