पटना : चीनी सैनिकों के साथ युद्ध में सोमवार की रात लद्दाख की गलवान वैली में शहीद हुए बिहटा प्रखंड के तारानगर निवासी हवलदार सुनील कुमार के लिये यह महीना शहनाई की धुन पर नाचने का था. इसी महीने उनके भांजे की शादी थी. जून में आने के लिये उन्होंने छुट्टी के लिये आवेदन कर दिया था. कोराेना के कारण शादी टल गयी तो उन्होंने नवंबर में आने के लिये छुट्टी मंजूर करा ली. चीन से संघर्ष होने वाली रात से कुछ घंटे पहले उन्होंने पत्नी रीति देवी से फोन पर बात की थी. नवंबर में घर आने और इस दौरान क्या- क्या करना है, कहां घूमने जाना है इसका प्लान बताया था. लद्दाख में ढाई साल से तैनात सुनील छह महीने पहले छुट्टी पर आये थे.
गांव के साथी के शहीद होने और उसके पार्थिव शरीर के पटना पहुंचने की खबर पर पटना एयरपोर्ट पहुंचे तारानगर सिकरिया निवासी संजय कुमार और पिंटू कुमार भावुक हो उठते हैं. वह कहते हैं कि लोगों को सुबह दस बजे सुनील के शहीद होने की खबर मिली थी. मीडिया के जरिये जो रिपोर्ट आ रही थीं उनको देखने पढ़ने के बाद हम लोग चर्चा कर रहे थे. सभी को खबर थी कि सुनील भी लद्दाख में हैं.
संजय कहते हैं कि हम तो यह सोच रहे थे की सुनील जब गांव आयेंगे तो उनसे चीन से लड़ाई की चौपाल पर चर्चा सुनेंगे. यह उम्मीद नहीं थी कि वह खुद अपनी शहादत की अमर कहानी लिख देंगे. गांव के कई लोग एयरपोर्ट पर पहुंचे हुए थे.
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शहीद सुनील के माता- पिता गांव में रहते हैं. पिंटू ने बताया कि सुनील ने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिये सगुना मोड़ पर बड़े भाई अनिल कुमार के बराबर में ही घर बना रखा है. यहां पत्नी रीति तीनों बच्चों के साथ रहती हैं. बड़ा बेटा आयुष दस साल का है. जबकि, छोटो बेटा विराट छह साल का और बेटी सोनाली 12 साल की है. अनिल भी सेना से रिटायर्ड हैं. छाेटे भाई के पार्थिव शरीर को लेने के लिये वह सुनील के बेटों को लेकर एयरपोर्ट पहुंचे थे.
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शहीद हवलदार सुनील का अंतिम संस्कार गुरुवार को उनके पैतृक गांव बिहटा के तारानगर सिकरिया में सैनिक सम्मान के साथ किया जायेगा. सूरज डूबने के बाद उनका पार्थिव शरीर फ्लाइट से पटना पहुंचा. एयरपोर्ट पर डिप्टी सीएम सुशील मोदी, नेता विरोधी दल तेजस्वी यादव, पूर्व सांसद पप्पू यादव, डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय सहित कई लोगों ने उनको नमन किया. सेना द्वारा उनका शरीर एयरपोर्ट से दानापुर स्थित रेजिमेंट ले जाया गया.