बिहारशरीफ : चीनी बहू यीन ह भारत-चीन के विवाद से काफी आहत हैं. वह हिंदी तो अभी ठीक से नहीं बोल पाती है, लेकिन वह कहती है कि जिस दिन गलवान घाटी में खून बहा, उस दिन खूब रोयी. ऐसा लगा कि मेरे माता-पिता व सास-ससुर में झगड़ा हो गया है. यीन ह कहती है कि वह बुद्ध को मानती है. भारत से ही शांति व अहिंसा का संदेश चीन गया.
सांस्कृतिक व वैचारिक रूप से चीन भारत के सबसे करीब है. उन्होंने कहा कि मैं चीन में पैदा हुई, जबकि शादी भारत में हुई. शांति व इंसानियत दोनों देशों का मूलमंत्र है. उन्होंने कहा कि भले ही भारत व चीन में विवाद चल रहा है पर हमें खूब सम्मान मिल रहा है. उसने बताया कि उसे भारत की संयुक्त परिवार की परंपरा खूब पसंद है. यीन ह डीम्ड यूनिवर्सिटी नव नालंदा महाविहार में पाली भाषा के सहायक प्राध्यापक अरुण कुमार यादव की पत्नी हैं.
अरुण कुमार यादव मूलत: उत्तर प्रदेश के बनारस के रहनेवाले हैं. वे 2011-12 में इंडो-चाइनीज स्कॉलरशिप के तहत चीनी विश्वविद्यालय में मंदारिन भाषा की पढ़ाई करने गये थे. वहीं पढ़ाई के दौरान बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई कर रही यीन ह से उनकी मुलाकात हुई. यह मुलाकात धीरे-धीरे दोस्ती में और फिर प्यार में बदल गयी.
इसके बाद दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया. यीन ह का घर बीजिंग में है. यीन ह फिलहाल नव नालंदा महाविहार में पाली भाषा में डॉक्टरेट कर रही हैं. अरुण यादव व उनकी पत्नी यीन ह इस बात से बहुत आहत हैं कि प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय से करीब 637 बौद्ध लिटरेचर (पुस्तकें) चीन ले गये. यीन ह बताती हैं कि उसे भारत-चीन की मित्रता पसंद है, इसलिए उसने अपने तीन साल के बेटे का नाम मैत्रेय रखा है.