बिहार के रास्ते नेपाल को भारत करता है 50 हजार करोड़ का निर्यात

प्रदेश के उद्योग मंत्री नीतीश मिश्र ने फूड प्रोसेसिंग इन्वेस्टर मीट के दौरान विशेष सत्र में खुलासा किया कि बिहार के रास्ते से भारत का लगभग 50 हजार करोड़ का निर्यात अकेले नेपाल को होता है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 3, 2024 1:34 AM

– चालू वित्तीय वर्ष में बिहार में निवेश के लिए आये 258 प्रस्तावों में 5425 करोड़ के निवेश संभावित -केंद्रीय मंत्री चिराग ने की सीईओ राउंड टेबल मीटिंग की अध्यक्षता संवाददाता,पटना प्रदेश के उद्योग मंत्री नीतीश मिश्र ने फूड प्रोसेसिंग इन्वेस्टर मीट के दौरान विशेष सत्र में खुलासा किया कि बिहार के रास्ते से भारत का लगभग 50 हजार करोड़ का निर्यात अकेले नेपाल को होता है. इनमें रक्सौल से 35 हजार करोड़ और जोगबनी के रास्ते से 15 हजार करोड़ का निर्यात होता है. जाहिर है कि जो भी कंपनी बिहार में निवेश करेगी, उसके बाजार के दायरे में नेपाल तक होगा. उद्योग मंत्री ने कहा कि चालू वित्तीय वर्ष में निवेश के लिए 258 प्रस्ताव आये. इनमें 5425 करोड़ के निवेश प्रस्तावित हैं. साथ ही हमने करीब 272 करोड़ की सब्सिडी और इंसेंटिव का लाभ निवेशकों को ऑनलाइन उपलब्ध कराया है. प्रदेश के मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने कहा कि बिहार की कृषि योग्य अनुकूल भूमि और उन्नत कृषि निवेशकों को बहुत बड़ा अवसर प्रदान करती है. कहा कि सरकार नीतियों में अनुकूल सुधार और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलेपमेंट पर फोकस के साथ हम एक मजबूत इकोसिस्टम के निर्माण के लिए समर्पित हैं, जिससे आर्थिक विकास को गति मिलेगी. इस दौरान प्रदेश के विकास आयुक्त प्रत्यय अमृत ने भी संबोधित किया. केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की अध्यक्षता में मीट के दौरान सीइओ राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस हुई. इस दौरान बिहार में निवेश आकर्षित करने के लिए नीतियों को सशक्त बनाने पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई. निवेशकों को आश्वस्त किया कि डबल इंजन सरकार बिहार की अपार संभावनाओं को साकार करने के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है. बिहार को प्रगति की नयी ऊंचाइयों तक ले जाने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है. इस प्रदेश के उद्योग मंत्री और अपर मुख्य सचिव आदि मौजूद रहे. राउंड टेबल मीटिंग में उद्यमियों की तरफ से आये यह सुझाव — -उद्यमियों ने सुझाव दिया फूड प्रोसेसिंग सेक्टर के लिए पॉलिसी बनायी जाए. – छोटी-छोटी यूनिटों को संरक्षित एवं प्रोत्साहित किया जाए. -अर्थव्यवस्था के प्राइमरी और द्वितीयक क्षेत्र पर भी फोकस हो.

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