Indo-Nepal News: भारत से जानवरों की तस्करी करके इसे विदेश भेज दिया जाता है. बिहार से सटी नेपाल की सीमा को तस्कर इसके लिए इस्तेमाल करते हैं. जंगली जानवरों खासकर बाघ और तेंदुआ को मारकर तस्करी से सीमा पार पहुंचाने के पीछे बड़ा अंतरराष्ट्रीय तस्कर गिरोह सक्रिय हैं.तस्कर बाघों और बड़ी बिल्लियों यथा शेर, जगुआर और तेंदुए की सुरक्षा को खतरे में डालते हैं. इन जानवरों के अवैध व्यापार का रास्ता, भारत से नेपाल के रास्ते चीन तक जाता है. तस्कर इसी रास्ते का उपयोग तस्करी के लिये करते हैं.
इंटरपोल, CBI व अन्य विभागों की बैठक में क्या हुआ?
तस्करों का गिरोह नेटवर्क के रूप में यह काम करता है. इस रुट पर कुछ लोग पैसे की लालच में तस्करों के नेटवर्कों में शामिल हो जाते हैं. जो तस्करी के सामान के संग्रह, भंडारण व बिक्री का समन्वय करते हैं. सुदूर बाजारों में इसके परिवहन में सुविधा उपलब्ध करवाते हैं. यह बातें विशेषज्ञों ने सीबीआइ द्वारा जंगली जानवार तस्करी पर आयोजित बैठक में कही. बैठक में सीबीआइ के अधिकारी, इंटरपोल के पर्यावरण सुरक्षा कार्यक्रम के विशेषज्ञ, नेपाल के अधिकारी, वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (डब्ल्यूसीसीबी), राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) और सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा विशेषज्ञ शामिल थे.
सीमावर्ती इलाके में होती रही है कार्रवाई
गौरतलब है कि एसएसबी आए दिन जानवरों की तस्करी मामले से जुड़ी कार्रवाई सीमावर्ती इलाके में करती रही है. अगस्त महीने में रक्सौल अनुमंडल के एक गांव में कबाड़ दुकान से पशु के अवशेष मिले थे. मिली जानकारी के अनुसार, नेपाल से तस्करी करके ये अवशेष लाए गए थे. जब एसएसबी को इसकी भनक लगी तो कार्रवाई की गयी.
तेंदुए के खाल के साथ पकड़ाए थे तस्कर
इसी साल के शुरुआत में मोतिहारी में एक कार्रवाई की गयी थी. भारत-नेपाल सीमा से भारी मात्रा में तेंदुए की खाल के साथ दो तस्करों को पकड़ा गया था. अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत करीब 50 लाख रुपए आंकी गयी थी. पुलिस को इसकी सूचना मिली थी कि तेंदुए की खाल की तस्करी की जा रही है. जिसके बाद वन विभाग की टीम के साथ मिलकर यह कार्रवाई की गयी थी. गिरफ्तार तस्करों में एक नेपाल का नागरिक भी थी. ऐसे कई मामले सामने आते रहे हैं.