कम उपजाऊ जमीन पर स्थापित होंगे औद्योगिक पार्क
बिहार ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट में हुए 423 एमओयू को धरातल पर उतारने के लिए सरकार भूमि उपलब्ध कराने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है.
चिह्नित की गयी मुजफ्फरपुर और सीतामढ़ी में पांच सौ एकड़ जमीन
पांच एकड़ से अधिक क्षेत्रफल वाले सरकारी भूखंड भी औद्योगिक गतिविधियों के लिए होंगे चिह्नित
बेतिया राज से हासिल जमीन पर भी औद्योगिक पार्क विकसित करने की योजना
राजदेव पांडेय,पटनाबिहार ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट में हुए 423 एमओयू को धरातल पर उतारने के लिए सरकार भूमि उपलब्ध कराने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है. इस क्रम में बेतिया राज की हासिल की गयी जमीन और बंद चीनी मिलों की भूमि पर औद्योगिक पार्क स्थापित करने के प्रयास शुरू करने निर्देश जारी किये गये हैं. ऐसे औद्योगिक पार्क कम उपजाऊ जमीन पर भी स्थापित करने की रणनीति तैयार की जा रही है. इसके अलावा बियाडा के मुताबिक औद्योगिक गतिविधियों के लिए एनएच-527 सी के निकट मुजफ्फरपुर से भिठामोड़ के पास ननपुर में 251 एकड़ और एनएच -22 मुजफ्फरपुर-सोनबरसा मार्ग पर सोनबरसा में 252 एकड़ जमीन चिह्नित की गयी है. इसी तरह प्रारंभिक रूप औरंगाबाद में जमीन हासिल करने के प्रयास चल रहे हैं.
आधिकारिक जानकारी के अनुसार साथ ही राज्य में पांच एकड़ से अधिक क्षेत्रफल वाले सरकारी भूखंडों को भी औद्योगिक गतिविधियों के लिए चिह्नित किये जायेंगे. दरअसल निवेशकों को जमीन उपलब्ध कराने तैयार किये जा रहे लैंडबैंक प्रबंधन पर राज्य के मुख्य सचिव अमृतलाल मीणा खुद निगरानी रखे हुए हैं. इस संदर्भ में मालूम हो कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग पांच एकड़ से अधिक क्षेत्रफल वाले खसरों का सत्यापन सभी राजस्व गांवों में करा रहा है. इससे राजस्व ग्रामवार,अंचलवार व जिलावार सरकारी भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी. इस भूमि को चिह्नित करके इसको हासिल करने की दिशा में उद्योग विभाग कार्यवाही करेगा. दरअसल मुख्य सचिव मीणा ने उद्योग विभाग की सचिव बंदना प्रेयसी को निर्देशित किया है कि मंत्रिपरिषद की तरफ से अनुमोदित नये औद्योगिक पार्कों के लिए भू-अर्जन की प्रक्रिया में तेजी लायी जाए. उन्होंने साफ किया है कि राज्य के वैसे भू-भाग जहां तुलनात्मक रूप में कम दरों पर भूमि उपलब्ध हो सकती है अथवा जो भूमि कम उपजाऊ है, वहां अधिक- से- अधिक औद्योगिक पार्क स्थापित किये जाएं. उदाहरण के तौर पर वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेस वे और जीटी रोड के बीच तुलनात्मक रूप में ऐसी भूमि हो सकती है. यह भाग इडीएफसी (इस्टर्न डेडिकैटेड फ्रेट कॉरिडोर) के नजदीक है. यहां सरकारी भूमि की उपलब्धता अधिक होने की संभावना है. अपर मुख्य सचिव ने निर्देशित किया है कि स्टेट इन्वेस्टमेंट प्रोमोशन बोर्ड की बैठक में विभागवार एमओयू की समीक्षा की जाए. प्रत्येक बैठक में उसकी प्रगति अनिवार्य रूप से रखी जाए.
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