संवाददाता,पटना गया, कैमूर, रोहतास और औरंगाबाद में औद्योगिक पार्क या इंडस्ट्रियल मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर विकसित करने की योजना है. इसके लिए औद्योगिक भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होने वाली है. इसी तरह बिहार के 31 जिलों में नये इंडस्ट्रियल क्षेत्रों की स्थापना के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की जा रही है. इन चारों जिलों में हाइवे के नजदीक जमीन चिन्हित की गयी है. जिला प्रशासन यह जमीन मुहैया करा रहा हैं. इसके प्रस्ताव आ गये हैं. हालांकि इसके अधिग्रहण की शुरू होने वाली है. यहां एक तरह से इंडस्ट्रियल टाउनशिप विकसित करने की योजना है. राज्य सरकार की मंशा वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेस हाइवे के किनारे औद्योगिक पार्क बनाने की है. इससे वहां के उत्पाद निर्यात के लिए बड़ी आसानी से हल्दिया या कोलकाता पोर्ट तक पहुंच सकेंगे. इस एक्सप्रेस हाइवे का करीब 153 किलोमीटर क्षेत्र बिहार से गुजर रहा है. पिछड़े जिलों में औद्योगिक विकास की राह खोलने का प्रयास दरअसल विभाग की रणनीति है कि राज्य में औद्योगिक विकास संतुलित ढंग से हो. अभी औद्योगिक विकास चार-पांच जिलों में केंद्रित हो गया है. लिहाजा औद्योगिक नजरिये से पिछड़े जिलों में औद्योगिक विकास की राह खोलने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि अंतर-जिला पलायन को रोका जा सके. दरअसल असंतुलित औद्योगिक विकास से राज्य के अंदर ही पलायन होने का खतरा खड़ा हो सकता है. इसे रोकने के लिए विभाग चाहता है कि राज्य के सभी क्षेत्रों में समान रूप से रोजगार के अवसर पैदा हों. इंडस्ट्रीज निदेशक आलोक रंजन घोष ने इस संबंध में बताया कि इन चारों जिलों में इंडस्ट्रियल टाउनशिप विकसित करने की रणनीति है. प्रस्ताव मिले हैं. जमीन अधिग्रहण की कवायद शुरू होगी. इधर हाइवे के किनारे औद्योगिक क्षेत्रों को विकसित करने जमीन चिन्हित करने की कवायद जारी है. बिहार सरकार की रणनीति है कि 50 किलोमीटर के दायरे में हाइवे की कनेक्टविटी जरूर हो, ताकि औद्योगिक गुड्स की आवाजाही आसानी से हो सके.
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