संवाददाता, पटना कोलकाता के इंटरनेशनल बेनेवोलेंट रिसर्च फाउंडेशन (आइबीआरएफ) के सहयोग से मगध महिला कॉलेज में जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग: प्रभाव और लचीलापन विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन छह आकर्षक व्याख्यान की प्रस्तुति की गयी. तीसरे सत्र के दौरान कनाडा के लेटाब्रिज विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ सैकत बसु ने वेक्टर जनित बीमारियों और जलवायु परिवर्तन के बीच संबंधों पर एक आकर्षक चर्चा का नेतृत्व किया, जो हाल के वैश्विक मामले के अध्ययनों से समर्थित है. इसके बाद एकेडमी ऑफ साइंस एंड रिसर्च (आइएएसआर) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ मृणाल कांति डे ने जलवायु परिवर्तन और ओजोन रिक्तीकरण के बीच संबंध को स्पष्ट किया. इसके बाद डॉ बसु भारत में जलवायु परिवर्तन के विशिष्ट प्रभावों के बारे में विस्तार से बताने लगे, जिसमें जैव विविधता, खाद्य सुरक्षा, पोषण, जल विज्ञान और वानिकी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल थे. चौथे सत्र में डॉ बसु ने शुद्ध शून्य लक्ष्य, हरित बुनियादी ढांचे और जलवायु परिवर्तन के आर्थिक पहलुओं, इसके शमन और लचीलापन रणनीतियों सहित प्रमुख अवधारणाओं पर जानकारी दी. अंतिम व्याख्यान में डॉ बसु ने जलवायु परिवर्तन की निगरानी में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भूमिका पर बात की.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है