जू में जानवरों को संस्थान और कंपनी लेती हैं गोद

संजय गांधी जैविक उद्यान (पटना जू) में जहां पहले ऑफलाइन मोड में जानवरों को गोद लेने का प्रावधान था, जिसे वन्यप्राणी दत्तक ग्रहण योजना कहते हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | April 20, 2024 12:52 AM

संवाददाता,पटना

संजय गांधी जैविक उद्यान (पटना जू) में जहां पहले ऑफलाइन मोड में जानवरों को गोद लेने का प्रावधान था, जिसे वन्यप्राणी दत्तक ग्रहण योजना कहते हैं. गोद लेने का मकसद जानवरों के प्रति व्यक्तिगत स्नेह और समर्थन दिखाना है. इसमें कोई भी व्यक्ति, परिवार, संस्था या कंपनी पूरे जू के सभी पशु-पक्षियों को एक दिन के लिए गोद ले सकते हैं. किसी भी व्यक्ति परिवार और व्यक्ति समूह की ओर से शेर, बाघ, तेंदुआ, हाथी, गैंडा आदि को 6 माह या एक साल के लिए गोद ले सकते हैं. वहीं कोई संस्थान या कंपनी इन जानवरों को 1, 2, 3 या 5 साल के लिए गोद ले सकते हैं. इनमें हाथी, जिराफ, गैंडा, हिप्पोपोटामस, शेर, बाघ, हिमालयन भालू, स्लोथ बेयर, उद्बिलाव, तेंदुआ, जेबरा, कैसोवरी, गोल्डन कैट, जंगल कैट और लैपर्ड कैट है. हाथी को अगर गोद लेने के लिए 6 महीने के लिए 1,50,000 और एक साल के लिए 2,25,000 रुपये हैं. हिप्पोपोटामस का छह महीने के लिए एक लाख रुपये वहीं एक साल के लिए डेढ़ लाख रुपये है. तेंदुआ का छह महीने के लिए पचास हजार रुपये एक साल का 75000 रुपये है. इसी प्रकार एक, दो, तीन और पांच साल के लिए राशि तय है. इन राशियों से पूरी तरीके से जानवरों की देख-रेख की जाती है.

एसबीआइ, आइओसीएल और कंपनी की से लिया गया है गोद

साल 2012 में जू के जानवरों को गोद लेने की योजना की शुरुआत की गयी. उस वक्त से लेकर अब तक मोर, जेबरा, सारस, बर्ड एनक्लोजर, जिराफ, शेर, बाघ, तेंदुआ, बारकिंग डियर, इमू, जकाल, चिंपांजी, मोर आदि हैं. साल 2022-2023 में नोवा कंपनी की ओर से सफेद मोर को गोद लिया है, जिसकी अवधि इस साल अप्रैल में समाप्त होगी. वहीं आइओसीएल की ओर से गैंडा गोद लिया है, जिसकी अवधि 2025 में समाप्त होगी.

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