लागत बढ़ने से गन्ने के मूल्य में इजाफा नहीं किया, तो किसान छोड़ देंगे ईख की खेती
संवाददाता,पटना
अगर ईख मूल्य की दर में वृद्धि नहीं की गयी तो किसान गन्ने की खेती छोड़ सकते हैं. किसान वैकल्पिक फसल उपजाने की ओर रुख कर सकते हैं. इससे गन्ना क्षेत्र में कमी आने से चीनी मिलों को नुकसान उठाना पड़ सकता है. यह आकलन गन्ना उद्योग विभाग का है. इस परिदृश्य में गन्ना उद्योग विभाग ने चीनी मिलों को निर्देशित कर दिया है कि राज्य में ईख का मूल्य बढ़ाया जाए. गन्ना उद्योग विभाग ने इसके लिए प्रस्ताव भी दिया है.आधिकारिक तौर पर बताया गया है कि सरकार की तरफ से प्रोत्साहन पैकेज -2006 और 2014 लाने के बाद चीनी मिलों की पेराई क्षमता में बढ़ोतरी हुई है. हालांकि, नयी चीनी मिल स्थापित नहीं हो सकी हैं. हमारी चीनी मिलों को 10.77 प्रतिशत चीनी रिकवरी के बावजूद भी नुकसान उठाना पड़ रहा है. जानकारी के अनुसार ईख मूल्य में वृद्धि को लेकर गन्ना उद्योग विभाग की तरफ से आयोजित हालिया एक बैठक में विभागीय मंत्री कृष्णनंदन पासवान ने चीनी मिल मालिकों से कहा है ईख के मूल्य में इजाफा होने से किसानों को आर्थिक मदद मिलेगी. गन्ना किसान खेती जारी रख सकेंगे. इससे राज्य की चीनी मिलों की क्षमतानुसार गन्ना मिल सकेगा. इस दौरान ईखायुक्त अनिल कुमार झा के अनुसार पिछले वर्ष की तुलना में गन्ना खेती की उत्पादन लागत प्रति हेक्टेयर बढ़ी है. इसलिए गन्ना मूल्य में वृद्धि जरूरी हो गयी है. इस विभागीय बैठक में बिहार शुगर मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सीबी पाटोदिया ने बताया कि ईख मूल्य का भुगतान समय पर किया जाये. पाटोदिया ने गन्ना उद्योग विभाग से अनुरोध किया कि उत्तर-प्रदेश पेराई सत्र 2024-25 के लिए ईख मूल्य निर्धारण होने के बाद ईख मूल्य वृद्धि के संबंध में निर्णय लिया जाना उचित होगा. बता दें कि पेराई सत्र 2024-25 के लिए गन्ने का गन्ना का उचित एवं लाभकारी मूल्य 340 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है. फिलहाल ईख मूल्य निर्धारण के संंबंध में अगली बैठक 11 नवंबर को प्रस्तावित की गयी है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है