Jayprakash Narayan : जेपी के जीवन को इन बिंदुओं से समझें, दिया था संपूर्ण क्रांति का नारा
5 जून 1975 को पटना में ऐतिहासिक गांधी मैदान में जयप्रकाश नारायण ने सम्पूर्ण क्रांति का आह्वान किया था. सम्पूर्ण क्रांति के जनक लोकनायक जयप्रकाश के जीवन से जुड़ी कई बातें पढ़ें इस खबर में..
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जयप्रकाश नारायण का जन्म बिहार के सारण जिले के सिताबदियारा गांव में एक कायस्थ परिवार में हुआ था.
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नौ वर्ष की उम्र में वह अपना घर छोड़कर पटना कॉलेजिएट स्कूल में दाखिला लेने आ गए थे.
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18 वर्ष की उम्र में उनका विवाह बिहार के प्रसिद्ध गांधीवादी बृज किशोर प्रसाद की पुत्री प्रभावती के साथ हुआ था.
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विवाह के बाद जयप्रकाश अपनी पत्नी प्रभावती को साथ नहीं रख सकते थे, इसलिए प्रभावती कस्तूरबा गांधी के साथ रहने लगीं.
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मौलाना अबुल कलाम आजाद के भाषण से प्रभावित होकर जेपी ने पटना कॉलेज छोड़ कर बिहार विद्यापीठ में दाखिला ले लिया.
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1922 में जयप्रकाश पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए जहां उन्होंने आठ वर्षों तक अध्ययन किया.
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1929 में भारत लौटने के बाद उनका सम्पर्क जवाहर लाल नेहरु से हुआ जहां से वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बन गए.
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1932 में महत्त्वपूर्ण कांग्रेसी नेताओं के जेल जाने के बाद, उन्होंने भारत में अलग-अलग हिस्सों में स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया. इसी वर्ष उन्हें मद्रास से गिरफ्तार कर नासिक जेल में भेज दिया गया. जहां उन्होंने कांग्रेस सोसलिस्ट पार्टी की स्थापना की.
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1934 में जयप्रकाश नारायण व सी एस पी ने कांग्रेस के चुनाव लड़ने का विरोध किया था
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1939 में जेपी ने द्वितीय विश्वयुद्ध के समय ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लोक आन्दोलन का नेतृत्व किया. ब्रिटिश सरकार के इस्पात निर्यात पर रोक लगाने के लिए उन्होंने टाटा स्टील कंपनी में हड़ताल करवाई.
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1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वह आर्थर जेल से फरार हो गए थे.
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19 अप्रैल 1954 को जयप्रकाश नारायण गया में आयोजित “सर्वोदय आंदोलन” से जुड़ गए.
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1957 में जयप्रकाश ने लोक नीति के पक्ष में राजनीति छोड़ने का फैसला किया.
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1975 में जब इंदिरा गांधी पर भ्रष्टाचार का आरोप साबित हुआ तब जयप्रकाश ने विपक्ष को एकजुट कर उनके इस्तीफे की मांग की. जिसके बाद इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगा दिया.
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5 जून 1975 को जेपी ने पटना के गांधी मैदान में विशाल जनसमूह को संबोधित किया जहां उन्हें ‘लोकनायक‘ की उपाधि दी गई.
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जनवरी 1977 में लोकनायक के आंदोलन के चलते भारत में पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार बनी.
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आपातकाल के दौरान जेल में जेपी की तबीयत अचानक ख़राब हो गई और 12 नवम्बर 1976 को उन्हें रिहा कर मुंबई के अस्पताल में किडनी ख़राब होने के कारण भर्ती कराया गए.
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8 अक्टूबर 1979 को लोकनायक जयप्रकाश का निधन पटना में दिल का दौरा पड़ने से हो गया.