आज 21 जून को पूरा विश्च अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मना रहा है. योग को भारत ने वापस इसकी पहचान दिलाई है. बात योग की होगी तो इसे आगे बढ़ाने में जिसका योगदान काफी अधिक है वो मुंगेर जिला का बिहार स्कूल ऑफ योग है. जिसे मुंगेर योग आश्रम के नाम से भी जाना जाता है और जिसके कारण मुंगेर को योग नगरी के रूप में जाना जाता है. इसकी स्थापना स्वामी सत्यानंद ने वर्ष 1964 में गंगा के तट पर की थी. इस स्कूल से तैयार हुए शिष्य व शिक्षक आज देश-विदेश में योग का प्रचार प्रसार कर रहे हैं.
बिहार स्कूल ऑफ योग की स्थापना मुंगेर में स्वामी सत्यानंद ने वर्ष 1964 में की. मुंगेर के इस बिहार स्कूल ऑफ योग को 21 वीं सदी में योग का केंद्र घोषित किया गया. यह योगपीठ, बिहार के मुंगेर में है जो पटना से करीब 175 किमी की दूरी पर है. गंगा नदी के सामने एक पहाड़ी पर स्थित इस योग केंद्र से लोग विदेशों में भी प्रशिक्षण ले रहे हैं.
गंगा के तट पर स्थित इस प्रसिद्ध योग आश्रम के बारे में कहा जाता है कि स्वामी सत्यानंद के गुरु स्वामी शिवानंद 1937 में ऋषिकेश से मुंगेर आए थे. उन्होंने कई जगहों पर संकीर्तन के जरिये योग का संदेश दिया. इसके बाद उनके शिष्य सत्यानंद सरस्वती को यह संदेश मिला कि योग ही भविष्य की संस्कृति है. यहां का सत्यानंद योग काफी फेमस है.
साल 1964 में स्वामी शिवानंद ने समाधी ले ली. जिसके बाद स्वामी सत्यानंद ने मुंगेर में ही गंगा दर्शन आश्रम की नींव रखी. यहां वो योग सिखाने में जुट गये. उन्होंने योग सिखाने के लिए सैंकड़ों किताबें लिख दी. उनकी लिखी पुस्तकों की विशेषता यह है कि उनमें सिद्धांत कम और प्रयोग अधिक है.
बिहार स्कूल ऑफ योग केवल एक इलाके, शहर या प्रदेश नहीं बल्कि देश विदेश के कोने में प्रचलित है. यहां से तैयार हजारों शिष्य और सैंकड़ों की संख्या में शिक्षक देश-विदेश में योग का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं. यहां विशेष दिनों में शिव महिमा स्त्रोत, सुंदर कांड और महामृत्युंजय जाप वगैरह भी कराया जाता है. स्कूल का स्थापना दिवस बसंत पंचमी के दिन मनाया जाता है. इसकी महत्ता इस बात से समझी जा सकती है कि साल 2014 में तत्कालिन राष्ट्रपति ऐपीजे अब्दुल कलाम ने मुंगेर को योग नगरी बताया था.
वर्तमान में स्वामी सत्यानन्द की महासमाधि के उपरांत स्वामी निरंजनानन्द सरस्वती की देखरेख और मार्गदर्शन में योग विद्यालय आगे बढ़ रहा है. बिहार योग विद्यालय की 77 देशों में शाखाएं हैं. योगाश्रम अभी स्वामी निरंजनानंद सरस्वती की देखरेख में ही चलता है. उन्हें योग के क्षेत्र में अतिविशिष्ठ कार्य के लिए पद्म भूषण और प्रधानमंत्री सम्मान भी मिल चुका है.
हालांकि मुंगेर के इस योग आश्रम को पहचान तो मिली है लेकिन अभी भी इसकी स्थापना का पूरा उद्देश्य पूरा नहीं हुआ है. योग को बेशक उसकी पहचान वापस मिली है लेकिन योग में दिलचस्पी रखने वाले बताते हैं कि अगर योग को स्कूल कॉलेज के सिलेबस में शामिल कर लिया जाए तो इसे काफी फायदा मिलेगा.
Posted By: Thakur Shaktilochan
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