Interview: दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व सांसद पुतुल कुमारी की बेटी श्रेयसी सिंह बिहार की इकलौती एथलीट हैं, जो पेरिस ओलिंपिक में देश व बिहार की शान बढ़ा चुकी हैं. वे अंतरराष्ट्रीय स्तर की डबल ट्रैप स्पर्धा की अचूक निशानेबाज के साथ जमुई से बीजेपी विधायक भी हैं. खेल और राजनीति में से किसी एक को संभाल पाना काफी मुश्किल होता है, पर वे अपने हौसले से दोनों ही क्षेत्रों में बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं.
Q. पेरिस ओलिंपिक के अपने अनुभवों के बारे में बताएं ?
मेरे लिए यह एक बहुत ही खूबसूरत अनुभव था. शूटिंग करते हुए मुझे 18 साल हो गये हैं, बावजूद इसके मुझे सीखने के लिए इतनी सारी चीजें मिलीं. पर मेरा प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा, लेकिन वर्ल्ड स्टेज पर जो परफॉर्म करने का अनुभव मिला वह बहुत ही खूबसूरत रहा.
Q. आपके पिताजी बड़े राजनेता थे, खेल प्रेमी भी, उनका सपना आपको खिलाड़ी बनाने का था, या राजनेता बनाने का?
मेरे पिताजी राजनेता थे, लेकिन दिल से एक बड़े स्पोर्ट्स पर्सन भी थे. उन्हें राजनीति और खेल दोनों ही चीजें पसंद थीं. कॉलेज के दिनों से ही मुझे पढ़ाई व स्पोर्ट्स के प्रति रुझान था, ऐसे में पिता का पूरा सपोर्ट मिला. उनके जाने के बाद जिस प्रदेश से हम हैं, वहां के लोगों की लालसा थी कि उनके परिवार का कोई सदस्य उनके पदचिन्ह पर चले. कोविड के दौरान मैंने कई इंटरैक्टिव लाइव सेशन किया, जिसमें मुझे राजनीति से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया गया. मैंने अपने पिता की पसंद के दोनों काम ‘शूटिंग’ और ‘राजनीति’ को साथ लेकर चल रही हूं और काफी हद तक मुझे सफलता भी मिल रही है.
Q. पहले आप खिलाड़ी हैं फिर विधायक. ऐसे में आप दोनों जिम्मेदारियों को कैसे संभालती हैं ?
(हंसते हुए) आपने एक कहावत जरूर सुनी होगी, ‘जहां चाह है वहां राह है’ तो मैंने इसी को अमल किया है. दो तरह के काम करने में निश्चित रूप से कठिनाई होती है. बहुत व्यस्त शेड्यूल रहता है. एक स्पोर्ट्स पर्सन की लाइफ का जो मैनेजमेंट होता है और जो विधायक का होता है वो दोनों ही एक दूसरे से अलग है. हालांकि मैंने दोनों के बीच तारतम्य बिठाने की कोशिश की है. चुनाव के दौरान जब राजनीति में जरूरत हुई, तो मैंने स्पोर्ट्स से थोड़ा सा समय बचाया और जब स्पोर्ट्स के लिए जरूरत हुई, तो इसमें भी अपना योगदान दिया. यंग होने की वजह से बैलेंस करना थोड़ा आसान है.
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Q. राजनीति के क्षेत्र में महिलाओं को काफी संघर्ष करना होता है, आप अपने अनुभवों व अपने अब तक की जर्नी के बारे में ?
हर क्षेत्र में महिलाओं को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. समाज में पितृसत्तात्मक सोच आज भी बरकरार है. पर आज हर क्षेत्र में महिलाएं अपनी भागीदारी बखूबी निभा रही हैं. हम डटकर और ईमानदारी से काम करना जानते हैं. जहां तक मेरी जर्नी की बात है, तो मेरी बचपन से ही खेल में रुचि थी. ग्लासगो में हुए 2014 कॉमनवेल्थ गेम्स में निशानेबाजी की डबल ट्रैप स्पर्धा में मैंने निशानेबाजी में देश के लिए सिल्वर मेडल जीता था. फिर 2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर देश का गौरव बढ़ाया. इसी साल मुझे राष्ट्रपति द्वारा अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. इस वर्ष मुझे पेरिस ओलिंपिक में भी खेलने का मौका मिला.
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