हर विद्यार्थी का पेन नंबर होना अनिवार्य, राज्य बदलने पर भी एक ही होगा पेन नंबर
राज्य के सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की पहचान और एकेडमिक डिटेल रखने के लिए पेन (परमानेंट एनरोलमेंट नंबर) का होना अनिवार्य कर दिया गया है.
यू-डायस पोर्टल पर स्टूडेंट प्रोफाइल अपडेट नहीं करने वाले स्कूलों की मान्यता खतरे में
जिले में 533 स्कूलों ने ही यू- डायस पोर्टल पर स्टूडेंट प्रोफाइल किया अपडेट
संवाददाता, पटनाराज्य के सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की पहचान और एकेडमिक डिटेल रखने के लिए पेन (परमानेंट एनरोलमेंट नंबर) का होना अनिवार्य कर दिया गया है. विद्यार्थियों का पेन नंबर जेनरेट करने के लिए स्कूल प्रबंधकों को यू-डायस पोर्टल पर रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है. यू-डायस नंबर से ही स्कूल प्रत्येक विद्यार्थियों का पेन नंबर जेनरेट कर सकते हैं. जिले के सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त कुल 4752 स्कूल हैं. इनमें शत प्रतिशत स्कूलों ने यू-डायस पोर्टल पर स्टूडेंट व टीचर्स प्रोफाइल को अपडेट कर दिया है. लेकिन निजी स्कूल प्रबंधक यू-डायस पोर्टल पर स्टूडेंट और टीचर्स प्रोफाइल अपडेट करने में सुस्ती बरत रहे हैं. जिले में कुल 1128 निजी स्कूल रजिस्टर्ड हैं. इसमें से 553 निजी स्कूलों ने ही यू-डायस पोर्टल पर बच्चों का प्रोफाइल अपलोड कर दिया है. वहीं, 575 निजी स्कूल प्रोफाइल अपडेट कराने की प्रक्रिया में ही है. जिला शिक्षा कार्यालय ने कहा कि यू-डायस पोर्टल पर बच्चों को प्रोफाइल अपलोड करने वाले स्कूलों को ही यू-डायस नंबर दिया जायेगा. जिनके पास यू-डायस नंबर नहीं होगा, उनकी मान्यता पर प्रश्नचिह्न लग सकता है. बच्चों के नामांकन से पहले अभिभावकों को स्कूल का यू-डायस नंबर जरूर चेक करना चाहिये.
राज्य बदलने पर ही एक ही रहेगा पेन नंबर
जो स्कूल यू-डायस पोर्टल पर बच्चों का प्रोफाइल अपलोड करेंगे, वे ही बच्चों को परमानेंट एनराेलमेंट नंबर (पेन नंबर) देने का अधिकार है. स्कूलों द्वारा बच्चों को दिये जाने वाला एक पेन नंबर 12 वीं कक्षा तक मान्य रहता है. इस पैन नंबर के माध्यम बच्चे देश के किसी भी राज्य के स्कूल में जाकर नामांकन ले सकते हैं. पेन नंबर बच्चों की आइडेंटिटी की तरह काम करता है. इसमें बच्चे की पूरी जानकारी होने के साथ ही एकेडमिक रिपोर्ट भी देखी जा सकती है.
फर्जीवाड़े पर लगेगी रोक
पेन नंबर से स्कूल के साथ-साथ बच्चों के नामांकन में होने वाले फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी. होता यह है कि अभिभावक किसी भी सरकारी या गैर सरकारी स्कूल से टीसी लेकर अन्य स्कूलों में बच्चों का नामांकन करा देते हैं, जबकि बच्चों का नाम स्कूल के रजिस्टर पर अंकित नहीं है. बिना रिकॉर्ड मेंटेन किये ही टीसी जारी कर दिया जाता था. पेन नंबर से अब ऐसा नहीं होगा. जिनके पास पेन नंबर होगा उन्हीं बच्चों का अन्य स्कूल में नामांकन होगा.