Bihar News: बिहार में जहरीली शराब (Jahrili Sharab) से मौत का तांडव एकबार फिर से दिखा है. सीवान, सारण और गोपालगंज में जहरीली शराब पीने से 50 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है जबकि दर्जनों लोग अभी बीमार हैं जिनका इलाज अलग-अलग अस्पतालों में चल रहा है. बिहार में पूर्ण शराबबंदी है लेकिन चोरी-छिपे शराब बनाने वाले धंधेबाज भी सक्रिय रहते हैं. लोगों को अपनी लापरवाही भी महंगी पड़ती है अपनी जान देकर उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ती है. नशे के चक्कर में लोग अपनी जान से हाथ धो रहे हैं. शराब को नशीला बनाने के लिए इस तरह प्रयोग किया जाता है कि वो जहरीली हो जाती है लोगों की जिंदगी ले बैठती है.
शराब क्यों हो जाती है जहरीली…
बिहार में शराब की अवैध भट्ठियां आए दिन पुलिस ध्वस्त करती है. बिहार में पूर्ण शराबबंदी है लेकिन शराब कारोबारी चोरी-छिपे शराब बनाते हैं और उसे बेचते हैं. खासकर दियारा इलाके में ये काम अधिक होता है. शराब बनाने के दौरान कई ऐसी लापरवाही की जाती है जो इस शराब को जहर में बदल देता है. लोकल स्तर पर शराब बनाते समय तापमान का भी कोई ख्याल नहीं रखा जाता जो बेहद जरूरी होता है. इसमें इथाइल अल्होकल के साथ-साथ मिथाइल अल्कोहल भी शामिल हो जाता है.
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मिथाइल बनाता है शराब को जहरीला
रसायन मामले के जानकार बताते हैं कि शराब के जहरीले होने की मुख्य वजह इसमें मिथाइल अल्कोहल का पाया जाना है. शराब इथाइल अल्कोहल से बनती है यह जहरीला नहीं होता. इसको इथनॉल भी कहते हैं. लेकिन मिथाइल बेहद खतरनाक है. ये इथाइल जैसा ही है लेकिन गुण में बिल्कुल उल्टा है. ये मिथनॉल जहरीला होता है और जब शरीर में जाता है तो कोशिकाओं को मार देता है. ये शरीर में जहां से गुजरेगा, वहां की कोशिका को मारता जाएगा. इससे शरीर भी सुन पड़ जाता है और आंख की रोशनी भी चली जाती है.
फॉर्मिक एसिड की वजह से जाती है जिंदगी
रसायन मामले के जानकार बताते हैं कि कई बार शराब को अधिक नशीला बनाने के चक्कर में इसमें यूरिया और ऑक्सिटोसिन मिला दिया जाता है. जो इंसान की मौत की वजह बन जाती है. शराब को पचाने के लिए अल्कोहल डीहाइड्रोजेनेट नाम रसायन मिलाया जाता है. जब मिथाइल इसके संपर्क में आता है तो फॉर्मल एल्डिहाइड पदार्थ बनाता है और फिर फार्मिक एसिड बनाता है. यह जहरीला फॉर्मिक एसिड जहरीली शराब में इतना अधिक होता है कि लोगों की जिंदगी नहीं बच पाती है.
आंखों की रोशनी क्यों जाती है?
इसका उदाहरण समझा जाए तो जब किसी को एक चिंटी काटती है तो शरीर में बेहद कम मात्रा में फॉर्मिक एसिड वो छोड़ती है. हम उसे सहन नहीं कर पाते हैं लेकिन जहरीली शराब में इतना अधिक यही फार्मिक एसिड होता है कि लोगों की मौत तक हो जाती है. मरीज ऑप्टिक न्यूरोपैथी के शिकार हो जाते हैं और इससे आंख की नस सूख जाती है और मरीज अंधा हो जाता है.