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बिहार का एक ऐसा गांव जहां आज भी बसते हैं श्री कृष्ण, उनकी बांसुरी की मधुर तान से मंत्रमुग्ध हो जाते हैं ग्रामीण…

Janmashtami 2024: बिहार की राजधानी पटना से सटे धनरूआ के एक गांव में आज भी भगवान श्रीकृष्ण की बांसुरी की आवाज लोगों के कानों तक पहुंच जाती है. ऐसा कहा जाता है कि सुबह गौपालक जब गाय लेकर निकलते हैं, तो उन्हें कभी पायल, कभी घुंघरू तो कभी बांसुरी की आवाज सुनाई देती है.

By Abhinandan Pandey | August 26, 2024 1:03 PM
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Janmashtami 2024: बिहार की राजधानी पटना से सटे धनरूआ के एक गांव में आज भी भगवान श्रीकृष्ण की बांसुरी की आवाज लोगों के कानों तक पहुंच जाती है. ऐसा कहा जाता है कि सुबह गौपालक जब गाय लेकर निकलते हैं, तो उन्हें कभी पायल, कभी घुंघरू तो कभी बांसुरी की आवाज सुनाई देती है. वहां के ग्रामीणों को पूरा विश्वास है कि आज भी उस गांव में श्री कृष्ण निवास करते हैं.

पटना से सटे 35 किलोमीटर की दूरी पर मसौढ़ी अनुमंडल के धनरूआ प्रखंड के विजयपुरा गांव के लोगों का ऐसा मानना है कि भगवान श्री कृष्ण बांसुरी की मधुर तान आज भी छेड़ते हैं. जिसे आज भी इस गांव में आप सुन सकते हैं. हालांकि लोगों का कहना है कि ऐसा जरूरी नहीं है कि यह सुरीली आवाज हर किसी को सुनाई दे. जिनकी आस्था कृष्ण की भक्ति के प्रति है वही इसे सुन सकते हैं.

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क्यों रखा गया गांव का नाम विजयपुरा?

विजयपुरा गांव के स्थानीय लोगों का कहना है कि उनके पूर्वजों के अनुसार पांडवो के साथ जरासंध पर विजय पाकर श्री कृष्ण लौट रहे थे तो इसी गांव में उन्होंने रात्रि विश्राम किया था. इसके अलावा भगवान श्री कृष्ण जब रुक्मणि हरण कर लौट रहे थे, तो यहीं पर वे ठहरे थे. इसलिए शायद इस गांव का नाम वृजपुरा से विजयपुरा रखा गया.

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जन्माष्टमी पर दूर दूर से मन्नत मांगने आते हैं लोग

वहीं देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी धूमधाम से मनाया जा रहा है. ऐसे में विजयपुरा गांव स्थित कन्हैया स्थान पर भी जन्माष्टमी को लेकर तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है. जन्माष्टमी पर दूर-दूर से लोग यहां मन्नत मांगने आते हैं. वहां के स्थानीय लोग दावा करते हैं कि इस गांव में श्री कृष्ण का वास है और वो बांसुरी बजाते हैं.

स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि गांव के बंगाली दास जब भगवान श्री कृष्ण से मिलने वृंदावन जा रहे थे तो कृष्ण ने बीच रास्ते में ही उन्हें कुष्ठ रोगी के रूप में मिलकर दर्शन दिए थे. बताया जाता है कि जब बंगाली दास ने वृंदावन से मिट्टी लाकर यहां पर पिंडी बनाकर पूजा शुरू की, तब से लेकर आज तक यहां पर रासलीला का आयोजन होता है.

यहां सबसे ज्यादा दिन तक होती है रासलीला

इस गांव में रासलीला कब से शुरू हुई है, आज तक किसी ग्रामीण को नहीं पता है. बता दें कि सैकड़ों सालों से यहां पर रासलीला का कार्यक्रम किया जाता है. गौरतलब हो कि पूरे भारत में तीन जगह पर ही सबसे ज्यादा दिनों तक रासलीला का आयोजन किया जाता है. जिसमें पटना के धनरूआ प्रखंड का यह विजयपुरा गांव भी शामिल है, जहां पर 53 दिनों तक रासलीला चलता है.

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