दर्दनाक हादसा : एक साथ उठी पति-पत्नी और बेटे की अर्थी, हर किसी की आंखें हुई नम
इंजीनियर सुमित कुमार अपनी पत्नी व साढ़े तीन वर्षीय बेटा के साथ शनिवार की सुबह 5:30 बजे ससुराल धरहरा गांव निकले. लेकिन, ससुराल से आधा किलोमीटर पहले ट्रेन हादसे में तीनों की मौत घटना स्थल पर ही हो गयी.
पटना : पश्चिमी आनंदपुरी स्थित कपिलदेव कुंज अपार्टमेंट के फ्लैट संख्या-102 में रहने वाले इंजीनियर सुमित कुमार अपनी पत्नी व साढ़े तीन वर्षीय बेटा के साथ शनिवार की सुबह 5:30 बजे ससुराल धरहरा गांव निकले. लेकिन, ससुराल से आधा किलोमीटर पहले ट्रेन हादसे में तीनों की मौत घटना स्थल पर ही हो गयी. पीएमसीएच में पोस्टमार्टम होने के बाद तीनों की शव 2:15 बजे अपार्टमेंट में पहुंची, तो अपार्टमेंट में रहने वाले और आसपास के लोगों की आंखें नम होने लगीं. दर्जनों लोग रोने व बिलखने लगे. पति-पत्नी व बच्चे की एक साथ अरथी निकली, तो अपार्टमेंट में सभी की आंखें भर आयीं. तीनों शवों का अंतिम संस्कार बांस घाट पर किया गया.
परिवार वालों को 7:45 बजे मिली दुर्घटना की सूचना : अपार्टमेंट के फ्लैट में सुमित के छोटे भाई गौरव अपने परिवार के साथ रहते हैं. इन लोगों को इस दुर्घटना की सूचना 7:45 बजे मिली. उसके बाद, एक-एक कर उनके रिश्तेदार व परिवार के अन्य सदस्य वहां पहुंचने लगे. दरअसल, सुमित का पैतृक घर राजापुर पुल में है. पश्चिमी आनंदपुरी में अपने ही अपार्टमेंट में पिछले कुछ वर्षों से वे रह रहे थे.
सात वर्ष पहले हुई थी शादी : सात वर्ष पहले सुमित कुमार की शादी धरहरा गांव में हुई थी. शादी के बाद से पत्नी निलिका बिहारी व साढ़े तीन वर्षीय बेटा प्रणीत के साथ नोएडा में रहते थे. लंबे समय से सुमित ससुराल नहीं आये थे. परिवार वालों ने बताया कि सुमित की सास व ससुर बेटी व नाती से मिलने के लिए बुला रहे थे. सास-ससुर के बुलावे पर पांच दिनों के लिए ससुराल के लिए निकले थे.
पिता के सामने ही
उजड़ा बेटी का परिवार
धरहरा निवासी सुरेंद्र सिंह बेटी व दामाद के आने की सूचना से काफी खुश थे. शनिवार की सुबह सोकर उठने के बाद वह फोन से बेटी व दामाद से बात कर रहे थे. जब उन्हें पता चला कि बेटी व दामाद पुनपुन से आगे निकल गये हैं, तो वह घर से निकल कुछ दूरी पर स्थित रेलवे ट्रैक के पास पहुंच गये. कुछ देर के बाद बेटी दामाद की गाड़ी ट्रैक के पास पहुंच गयी. कार को उनके दामाद सुमित चला रहे थे. जबकि, उनके बगल में उनकी पुत्री निलिका बिहारी बैठी थी. पिछले सीट पर नाती प्रणीत बैठा था. बताया जा रहा है कि कार ट्रैक पार करती, तभी ससुर सुरेंद्र सिंह को पटना की ओर से ट्रेन आते दिखायी दी. उन्होंने इशारे में दामाद को कार पीछे ले जाने को कहा. लेकिन, कार का शीशा बंद रहने की वजह से ससुर के इशारे को सुमित नहीं समझ सके. ससुर सुरेंद्र सिंह ने इशारा किया, ट्रेन देख सुमित घबरा गये और उनकी कार बीच ट्रैक पर ही बंद हो गयी. इसी बीच ट्रेन की चपेट में कार आ गयी और ससुर देखकर भी बचा नहीं सके.