JDU: जदयू के मुख्य प्रवक्ता सह विधान पार्षद नीरज कुमार, प्रदेश प्रवक्ता अंजुम आरा और हिमराज राम ने शनिवार को संयुक्त प्रेस वार्ता में तेजस्वी यादव से पूछा है कि शराबबंदी वाले राज्यों में शराब कंपनियों से चंदा क्यों लिया? जदयू प्रदेश मुख्यालय में शनिवार को आयोजित प्रेस वार्ता में पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा कि बिहार को बदनाम करने के लिए नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले शराब बनाने वाली कंपनियों से इलेक्ट्राॅल बांड के रूप में 46.64 करोड़ रुपये लिया है. शराबबंदी के विषय में उनका अंनर्गल प्रलाप महज संयोग नहीं, बल्कि एक राजनीतिक प्रयोग है.
शराबबंदी का फायदा गिनाया
नीरज कुमार ने कहा कि जहरीली शराब से मौत पर राजनीतिक टिप्पणी करने से पहले नेता प्रतिपक्ष को एनसीआरबी का डाटा जरूर देखना चाहिए. राबड़ी देवी शासनकाल (1999-2005) में जहरीली शराब से होने वाली मौत मामले में पूरे देश में बिहार का स्थान छठा था. वहीं, जब नीतीश सरकार में शराबबंदी लागू नहीं थी ,तो बिहार आठवें स्थान पर था. शराबबंदी लागू होने के बाद बिहार तेरहवें स्थान पर आ गया.
रिपोर्ट का हवाला दिया
नीरज कुमार ने कहा कि वर्ष 1999 से 2005 तक राजद शासनकाल में जहरीली शराब से 456 लोगों की मौत हुई थी. इस नरसंहार की जिम्मेदारी लालू प्रसाद, राबड़ी देवी या तेजस्वी यादव लेंगे? यह राजद को स्पष्ट करना चाहिए. प्रवक्ता ने एनएफएचएस की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि वर्ष 2004 – 05 में बिहार में शराब दुकानों की संख्या तीन हजार थी जबकि शराब से राजस्व की प्राप्ति 295 करोड़ होती थी. वहीं, 2014 – 15 में शराब दुकानों की संख्या छह हजार हो गई, परंतु राजस्व की प्राप्ति चार हजार करोड़ रुपये की हुई. प्रवक्ताओं ने राजद की तत्कालीन सरकार पर भी राजस्व की हेराफेरी का आरोप लगाया.
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