जातीय जनगणना सामान्य वर्ग के लिए भी जरुरी, सक्षम लोगों को नहीं मिले लाभ, जदयू प्रवक्ता का बड़ा बयान
जातीय जनगणना को लेकर बिहार में सियासत गरमायी हुई है. बिहार के सभी प्रमुख राजनीतिक दल एक सुर में इसकी मांग तेज किये हुए हैं. वहीं जदयू प्रवक्ता अजय आलोक ने इसे लेकर ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने जातीय जनगणना की वकालत की है. लेकिन सक्षम लोगों को लाभ से बाहर किये जाने की मांग की है.
जातीय जनगणना को लेकर बिहार में सियासत गरमायी हुई है. बिहार के सभी प्रमुख राजनीतिक दल एक सुर में इसकी मांग तेज किये हुए हैं. वहीं जदयू प्रवक्ता अजय आलोक ने इसे लेकर ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने जातीय जनगणना की वकालत की है. लेकिन सक्षम लोगों को लाभ से बाहर किये जाने की मांग की है.
जदयू के प्रवक्ता डॉ. अजय आलोक ने जातीय जनगणना को लेकर आज ट्वीट किया है. जिसमें उन्होंने लिखा कि 2360 जातियां केंद्रीय सूची में है जिन्हें अभी तक जिन्हें आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए. लेकिन इनमे से अनुमानित 1000 जातियों को आज तक लाभ नहीं मिला है. जदयू प्रवक्ता ने इनकी सामाजिक व आर्थिक हालात को लेकर सवाल किया है. उन्होंने सामान्य वर्ग में जिन जातियों को कभी आरक्षण का लाभ नहीं मिला उनके भी सामाजिक और आर्थिक स्तिथि जानने की वकालत की.
अजय आलोक ने सवाल किया कि जिन जातियों को आरक्षण का लाभ पिछले 74 वर्षों से मिल रहा हैं उनकी सामाजिक और आर्थिक स्तिथि में कितना बदलाव हुआ. इन बातो को जानने के लिए जातीय जनगणना सबके लिए हितकारी हैं. इसे उन्होंने सामान्य वर्ग के लिए सबसे ज़रूरी बताया.कहा कि आरक्षण इस देश की ज़रूरत हैं लेकिन सही लोगों के लिए.
2630 जातियाँ केंद्रीय सूची में हैं अभी तक जिन्हें आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए इनमे से अनुमानित 1000 जातियों को आज तक लाभ नहीं मिला , इनकी सामाजिक आर्थिक हालात कैसी हैं ? जिन जातियों को सामान्य वर्ग में कभी आरक्षण का लाभ नहीं मिला उनकी सामाजिक और आर्थिक स्तिथि क्या हैं ? जानना होगा
— Dr Ajay Alok (@alok_ajay) August 27, 2021
जदयू प्रवक्ता ने लिखा कि 1931 के जातीय जनगणना के आधार पर बाबा साहब ने सामान्य , पिछड़ा ,अनुसूचित जाति, जनजाति का वर्गीकरण किया था तो अब 2021 में जातीय जनगणना के आधार पर पुन: समीक्षा होनी चाहिए. और जिनको भी सामाजिक , आर्थिक , शैक्षणिक आधार पर ज़रूरत है उन सबको लाभ मिलना चाहिए. साथ ही लिखा कि जो अब सक्षम हैं वो बाहर रहे.
जिन जातियों को आरक्षण का लाभ पिछले 74 वर्षों से मिल रहा हैं उनकी सामाजिक और आर्थिक स्तिथि में कितना बदलाव हुआ ? इन बातो को जानने के लिए जातीय जनगणना सबके लिए हितकारी हैं , सामान्य वर्ग में जो हैं उनके लिए सबसे ज़रूरी हैं , आरक्षण इस देश की ज़रूरत हैं लेकिन सही लोगों के लिए
— Dr Ajay Alok (@alok_ajay) August 27, 2021
बता दें कि बिहार के मुखिया नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार के 10 दलों के प्रतिनिधि दिल्ली गये थे जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जातिगत जनगणना पर बात हुई थी. इस दौरान प्रधानमंत्री ने सभी सदस्यों का पक्ष सुना है. वहीं पीएम से मुलाकात के बाद अब दिल्ली गये सदस्यों को कुछ साकारात्मक पहल की उम्मीद है.गौरतलब है कि बिहार विधानमंडल से दो बार इसके प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पास किया जा चुका है.
1931 के जातीय जनगणना के आधार पे बाबा साहब ने सामान्य , पिछड़ा ,अनुसूचित जाति जनजाति का वर्गीकरण किया था तो अब 2021 में जातीय जनगणना के आधार पे पुन समीक्षा होनी चाहिए और जिनको भी ज़रूरत हैं सामाजिक , आर्थिक , शैक्षणिक आधार पे सबको लाभ मिलना चाहिए और जो सक्षम हैं वो बाहर रहे ।
— Dr Ajay Alok (@alok_ajay) August 27, 2021
POSTED BY: Thakur Shaktilochan