Jeevika: पटना. बिहार जीविका मॉडल का अब गुजरात भी अनुसरण करेगा. बिहार जीविका मॉडल की कार्यशैली को जानने समझने के लिए गुजरात की 11 सदस्यीय टीम आजकल बिहार में है. बुधवार को टीम के सदस्य बिहारशरीफ सदर अस्पताल पहुंचे. वहां चल रही जन औषधि केंद्र, दीदी की रसोई, हेल्प डेस्क व अन्य जगहों पर जाकर उनसे पूरी जानकारी ली. गुरुवार को टीम के सदस्य सिलाव संकुल स्तरीय संघ (क्लस्टर लेवल फेडरेशन-सीएलएफ) में जाकर ग्राम संगठन की जीविका दीदी से मिले. उनसे काम करने समेत अन्य बारीकियों को जाना. सिलाव में आंगनबाड़ी केंद्र, स्वयं सहायता समूह व ग्राम संगठन के सदस्यों से मिलकर यह टीम सतत जीविकोपार्जन के तहत चल रही योजनाओं की जानकारी ली. साथ ही उनके जीवन में आ रहे बदलाव को देखा.
विकास के नए कीर्तिमान भी बना रही जीविका दीदी
गुजरात समन्वित बाल विकास परियोजना (आईसीडीएस) की संयुक्त निर्देशक आवंतिका दार्जी, जीएमपी की संयुक्त निर्देशक शोभना वर्मा, नेहा कटारिया, अल्का सोलंकी, श्वेता आगत, केतन पंडित, वीरेंद्र वसिया, यूनिसेफ सेविनय तिवारी, कुलदीप सिंह व मधेश्वर रामपुकार नेसखी वन प्वाइंट, जन औषधि समेत अन्य केंद्रों पर जाकर जीविका दीदी सेपूरी जानकारी ली. बिहार में जीविका दीदी अस्पतालों में दीदी की रसोई, नीरा कैफे रेस्टोरेंट, चादरों की सफाई, बकरी पालन व अन्य माध्यमों से महिलाएं न सिर्फ आर्थिक तौर से आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि स्वास्थ्य समेत अन्य क्षेत्रों में विकास के नए कीर्तिमान भी बना रही हैं.
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अब तक जुड़ चुकी है एक लाख से अधिक महिलाएं
जीविका के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी संजय प्रसाद पासवान ने बताया कि जीविकोपार्जन योजना के माध्यम से महिलाओं की आमदनी निरंतर बढ़ रही है. ये दीदी अब घरों से बाहर दीदी की रसोई जैसी संस्थानों का बखूबी संचालन कर रही है. घरों में रहनेवाली दीदियों के लिए भी कई तरह की योजनाएं चल रही हैं. उन्हें पहले प्रशिक्षण दिया जा जाता है. इसके बाद स्वयं सहायता समूह के माध्यम से उनके लिए लोन की व्यवस्था की जाती है. एक लाख से अधिक महिलाएं आज केवल बिहारशरीफ जिले में इस योजना से जुड़कर आत्मनिर्भर हो चुकी हैं.