हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के भूतपूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने राम और हिंदू धर्म को लेकर फिर से एकबार विवादित बयान दिया है और विवादों में घिर गये हैं. मांझी राम को नहीं मानते. वो हिंदु धर्म से भी दलितों को जुड़ा हुआ देखना नहीं चाहते हैं. पूजा- पाठ करने वाले दलितों को वो गालियां भी देते हैं. जीतन राम मांझी ने एकबार फिर खुले मंच से कहा कि वो राम को भगवान नहीं मानते. राम मनुष्य नहीं थे, बस काल्पनिक पात्र थे. रामायण पर भी उन्होंने सवाल खड़े किये.
जीतनराम मांझी बिहार में केवल एक नेता ही नहीं बल्कि प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. जीतन राम मांझी भूल बैठते हैं कि इस देश के कानून के तहत किसी के धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाना अपराध की श्रेणी में आता है. मांझी लगातार इस तरह की बयानबाजी पहले भी करते रहे हैं. मांझी ने कहा कि 1956 में बाबा आंबेडकर मरने के पहले हिंदू धर्म में नहीं हुए. बौद्ध धर्म में होकर उनकी मृत्यु हुई. इसलिए हम उनकी संतान हैं तो हम हिंदू धर्म को नहीं मानते.
जीतन राम मांझी ने पंडितों को भी खुलकर अपशब्द कहा और उनके लिए गालियां तक खुले मंच से निकाल दी. वहीं पंडितों को गाली देने का मामला जब सियासी गलियारे में तूल पकड़ा तो मांझी ने इसे ढकने की कोशिश की और जो दलील दी उसमें भी वो उलझ गये. मांझी ने मीडिया के पास सफाई देते हुए कहा कि वो पंडितों को गाली नहीं दिये बल्कि अपने समाज को गाली दिये थे.
वहीं अपने बयान में फिर एकबार उलझने के बाद मांझी ने एक और ट्वीट किया और इसबार दलितों के पक्ष में आवाज उठाई. मांझी ने पंडित को गाली देने पर हमलावर नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि- काश दलितों को पीटे जाने पर,उठक-बैठक कराए जाने पर,दलितों की हत्या किए जाने जैसे मामलों पर भी ऐसी ही राजनैतिक बयानबाजी होती. वहीं अपने बयान को मांझी झूठा वीडियो वायरल भी बताते दिखे. उनका कहना है कि विवादित हिस्सा वायरल किया गया है.
Posted By: Thakur Shaktilochan