BRABU की पहली महिला रजिस्ट्रार डॉ अपराजिता, जानिए साइंटिस्ट से यहां तक कैसा रहा इनका सफर
मुजफ्फरपुर के भीम राओ अंबेडकर बिहार यूनिवर्सिटी की पहली महिला रजिस्ट्रार बनी डॉक्टर अपराजिता कृष्णा कई क्षेत्रों में परचम लहरा चुकी हैं. वो एक साइंटिस्ट और टीचर भी रह चुकी हैं. उनकी पढ़ाई छात्राएं भी आज विभिन्न क्षेत्रों में परचम लहरा रही हैं. पेश हैं उनसे बातचीत के कुछ अंश...
Women Of The Week: पटना वीमेंस कॉलेज में फिजिक्स विभाग की एचओडी रह चुकीं डॉ अपराजिता कृष्णा महिला साइंटिस्ट हैं. कॉलेज में उनसे पढ़ी कई छात्राएं आज अलग-अलग क्षेत्र में परचम लहरा रही हैं. इसी महीने उन्हें मुजफ्फरपुर स्थित भीम राव अंबेडकर बिहार यूनिवर्सिटी (BRABU) का रजिस्ट्रार नियुक्त किया गया है. वे पहली महिला रजिस्ट्रार हैं, जो इस पद को संभाल रही हैं. कॉलेज में अपने कार्यकाल के दौरान इन्होंने कई रिसर्च में अपना योगदान दिया है. अपराजिता के लिए एक साइंटिस्ट, एक टीचर और पहली महिला रजिस्ट्रार तक का सफर आसान नहीं था.
Q. आप रिसर्च के क्षेत्र से कैसे जुड़ीं, इसके बारे में बताएं ?
मेरी सारी शिक्षा पटना से हुई है. इंटर पटना वीमेंस कॉलेज से, ग्रेजुएशन पटना साइंस कॉलेज से और पीएचडी वीर कुंवर सिंह विवि से. बचपन से ही फिजिक्स में मेरी रुची थी. साल 2009 में टीआइएफआर (टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च) की ओर से मुझे यंग वीमेन साइंटिस्ट के तौर पर चयनित किया गया. उस वक्त रिसर्च से जुड़ी जिम्मेदारी दी गयी. मैं हिस्टोरिकल मॉन्यूमेंट्स पर साइंटिफिक एनालिसिस करना चाहती थी, पर यह काम आसान नहीं था. इसके लिए टीआइएफआर के तहत एस्ट्रो फिजिक्स की ओर से एक साल तक की ट्रेनिंग मिली.
Q. जब आप हिस्ट्री व साइंस को जोड़कर रिसर्च कर रही थीं, तो कितनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
जब मैंने हिस्टोरिकल मॉन्यूमेंट्स पर साइंटिफिक एनालिसिस के लिए ‘डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी’ को प्रोपोजल दिया, तो उसे रिजेक्ट कर दिया गया था. बताया गया कि आप हिस्ट्री के प्रोजेक्ट पर साइंस को कैसे जोड़ सकती हैं. इसके लिए आपको ‘आर्कियोलॉजकल सर्वे ऑफ इंडिया’ से अनुमति लेनी होगी. जब मैंने इसके लिए आवेदन दिया, तो मुझे अनुमति मिल गयी. फिर काम शुरू हुआ, तो कई इक्विपमेंट्स की कमी महसूस होने लगी. तब पटना वीमेंस कॉलेज को सीआरएल लैब के लिए फंडिंग मिली थी, जिसके इंट्रेस्ट से हैंड हेल्ड एक्सआरएफ लिया, जिससे रिसर्च सैंपल कलेक्ट करने में आसानी हुई. आज कई महिला साइंटिस्ट रिसर्च कर रही हैं पर हमारे समय में यह सब आसान नहीं था.
Q. आप पांच बहन और एक भाई हैं. ऐसे में समाज में अपना मुकाम कैसे हासिल किया?
मेरी मां पेशे से प्रोफेसर थीं और पिता इंजीनियर इन चीफ. उस समय एक घर में इतनी सारी बेटियों का होना अच्छा नहीं माना जाता था. बावजूद इसके मेरे पिता ने हमें अलग तरह से परवरिश दी और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया. पढ़ाई में हम पांचों बहने काफी अच्छी थीं और उस वक्त हमने आइआइटी बीएचयू, बीआइटी सिंदरी, एमआइइटी बॉस्टन जैसे बड़े विवि में पढ़ाई की और जॉब लिया. 10वीं पास करने के बाद पापा ने हम सभी को ड्राइविंग सिखाया. उन्होंने हमें कभी अपने पैरों को छूने नहीं दिया. वे अक्सर कहा करते थें ‘बेटियां को झुक कर नहीं, हमेशा सिर उठाकर जीना चाहिए’.
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Q. आप पहली रजिस्ट्रार हैं, ऐसे में चुनौतियां कितनी है?
पटना वीमेंस कॉलेज की प्राचार्या की सहमति से मैंने इस पदभार को संभाला है. यहां आने से पहले मुझे ज्वाइन न करने के लिए कई कॉल्स आये, लेकिन पति ने प्रोत्साहित किया. मैं यहां काम करने के लिए आयी हूं और इसी पर ध्यान दूंगी. ऑफिस के लिए कोड ऑफ एथिक्स मेरे लिए बेहद अहम हैं.