संवाददाता, पटना. गुरु का तारा एक जून को उदित हो चुका है. गुरु के उदय होने के बाद जुलाई में शुक्र का तारा उदित होगा. इसके बाद मांगलिक कार्य हो सकेंगे. जुलाई में विवाह के तीन मुहूर्त होंगे.नवग्रह में बृहस्पति को गुरु का पद प्राप्त है. देवताओं के गुरु कहे जाने वाले बृहस्पति अपने विशेष सर्किलों व सितारों के साथ अवस्थित हैं. गुरु के उदित होने से परिवर्तन का चक्र शुरू होता है. वहीं धर्म अध्यात्म से जुड़े विषयों पर संशोधन की स्थिति होगी. विवाह मांगलिक आदि कार्यों के लिए शुक्र के तारे का उदित होने का विशेष महत्व बताया जाता है. शुक्र के उदय होने से विवाह कार्य आदि आरंभ हो जायेंगे. एक जुलाई को शुक्र का तारा उदित होगा और 7 जुलाई के बाद अलग-अलग प्रकार के मांगलिक कार्यों का आरंभ पुनः हो जायेग. ज्योतिषाचार्य श्रीपति त्रिपाठी ने बताया कि अन्य वर्षों के मुकाबले विवाहदि शुभ मुहूर्त का अभाव इस साल देखा गया है. इसका कारण है शुक्र और गुरु का अस्त होना. सनातन परंपरा में गुरु और शुक्र के अस्त होने पर कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. यही कारण है कि इस साल शहनाइयां कम बज पायेंगी. अतः शुक्र और गुरु के अस्त के बाद पुनः गुरु और शुक्र का उदय निम्नलिखित तिथियां में हो रहा है, जिसके बाद से विवाह आदि शुभ कार्य शुरू हो जायेंगे. उन्होंने बताया कि आषाढ़ कृष्ण पक्ष सप्तमी शुक्रवार को यानी दिनांक 28 जून को शाम 05:06 बजे, लेकिन यह पक्ष 13 दिन का ही हो रहा है. इसलिए विवाहादि शुभ कर्म अगले पक्ष में आरंभ हो रहा है.
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