वीमेन ऑफ द वीक किलकारी बिहार बाल भवन एक ऐसी जगह है, जहां बड़ी संख्या में हर तबके के बच्चे विभिन्न विधाओं में प्रशिक्षण लेकर अपने जीवन में ख्याति प्राप्त करते हैं. किलकारी की स्थापना का मकसद बच्चों की क्षमताओं को समझते हुए उन्हें एक बेहतर प्लेटफार्म देना है. ज्योति परिहार ‘किलकारी’, बिहार बाल भवन की संस्थापक निदेशक के रूप में कार्यरत हैं. जो वर्ष 2008 से इससे जुड़ी हैं.
बच्चों के विकास के साथ-साथ उन्हें अच्छा माहौल मिले, इसे लेकर वे लगातार काम करती हैं. उन्होंने विभिन्न कमिशनरियों में चलने वाले ‘किलकारी’ की परिकल्पना कर इसकी स्थापना की थी. आज बच्चों के सृजनात्मक विकास में किलकारी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. बिहार के पांच जिलों में इसकी 20 शाखाएं हैं. शिक्षा विभाग, बिहार सरकार द्वारा बनायी गयी बच्चों की इस संस्था से वे कैसे जुड़ी पेश हैं उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश.
किलकारी से आपका जुड़ना कैसे हुआ?
पहले राष्ट्रीय बाल भवन की ओर से हर राज्य में बाल भवन खोलने को लेकर पहल की गयी थी. बिहार में इसे खोलने के लिए 2008 में टीम आयी, जिन्होंने यहां के राज्य सरकार और शिक्षा विभाग से मुलाकात की. इसी साल विभाग ने बाल भवन किलकारी का निबंधन कराया था. अब जरूरत थी एक निदेशक की, जो इसके उत्थान के लिए काम करें. इस पद के लिए विज्ञापन निकाला गया. जिस वक्त मैंने आवेदन किया था, उस वक्त मैं बीइपी में गर्ल्स एजुकेशन के लिए काम करती थी. टीम ने इंटरव्यू लिया और फिर मेरा चयन निदेशक के तौर पर हुआ.
अक्सर बच्चों के लिए व उनके क्षेत्र में काम करना आसान नहीं होता है. ऐसे में आपने कैसे अपने कार्य की शुरुआत की?
बच्चों के लिए आपने विभिन्न विधाओं का चयन कैसे किया?
किलकारी का भवन अपने आप में बेहद खास है. इसके निर्माण को लेकर कैसे काम किया? कुछ बताएं.
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